Indian hosiery manufacturers' revenue growth rate expected to be 10-12 per cent in FY2024-25
नई दिल्ली
भारतीय होजरी निर्माताओं की आय चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2024-25) में सालाना आधार पर 10 से 12 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है. इसकी वजह ग्रामीण इलाकों में मांग का बढ़ना, निर्यात में इजाफा होना और मजबूत आधुनिक व्यापार बिक्री है, यह जानकारी गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई.
इंडस्ट्री की आय में एक तिहाई हिस्सेदारी रखने वाले 30 होजरी निर्माताओं के क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, उद्योग के परिचालन मार्जिन में इस वित्त वर्ष में 150-200 आधार अंकों (बीपीएस) का सुधार होने की उम्मीद है, जो इनपुट कीमतों में नरमी और बेहतर क्षमता उपयोग के कारण है. वहीं, अधिक वॉल्यूम ग्रोथ से भी इसे सहारा मिल रहा है.
क्रिसिल रेटिंग्स में निदेशक अर्घा चंदा ने कहा, "10-12 प्रतिशत की आय वृद्धि ग्रामीण बिक्री के उच्च योगदान पर निर्भर करेगी. घरेलू आय का लगभग आधा ग्रामीण इलाकों से आता है. सामान्य से बेहतर मानसून के बाद कृषि उपज में वृद्धि, न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि और ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर अधिक सरकारी खर्च से ग्रामीण खर्च को समर्थन मिलेगा."
चंदा ने कहा कि मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में निर्यात में वृद्धि के साथ-साथ आधुनिक व्यापार के कारण शहरी मांग में अपेक्षित वृद्धि से भी वॉल्यूम ग्रोथ में सुधार होगा.
होजरी इंडस्ट्री में आमतौर पर साल के अंत तक वॉल्यूम में उछाल देखने को मिलता है, क्योंकि चैनल पार्टनर गर्मी के मौसम में उच्च मांग को पूरा करने के लिए स्टॉक करना शुरू कर देते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, इस वित्त वर्ष में यार्न की कीमतों में स्थिरता और बिक्री मूल्यों में 1-2 प्रतिशत की गिरावट के कारण चैनल पार्टनर्स की ओर से मांग में फिर से उछाल आया है.
रिपोर्ट में बताया गया कि चैनल पार्टनर्स की ओर से मजबूत मांग के कारण होजरी निर्माता विज्ञापन और मार्केटिंग पर अपने खर्च में कटौती करेंगे. इसका नतीजा यह है कि क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा रेट किए गए होजरी निर्माताओं का ऑपरेटिंग मार्जिन इस वित्त वर्ष में 150-200 बीपीएस से बढ़ाकर 11.5-12 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जिससे नकदी संचय में वृद्धि होगी.
रिपोर्ट में कहा गया है, "उच्च नकदी संचय और कम इन्वेंट्री होल्डिंग अवधि से कार्यशील पूंजी की आवश्यकता कम होने और कंपनियों की लिक्विडिटी प्रोफाइल मजबूत होने की उम्मीद है. क्षमता उपयोग मध्यम स्तर पर बनी हुई है और कोई बड़ा विस्तार अपेक्षित नहीं है. इससे दीर्घकालिक उधार और वित्त लागत सीमित होनी चाहिए."