नई दिल्ली
बुधवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2030 तक 100 बिलियन डॉलर को पार कर जाएगा, जो उद्योगों में डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण की मजबूत मांग के बीच उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी सरकारी पहलों से प्रेरित है.
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (IESA) और काउंटरपॉइंट रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल हैंडसेट, आईटी और दूरसंचार क्षेत्र सेमीकंडक्टर उद्योग में अग्रणी हैं, जो इसके राजस्व में 75 प्रतिशत से अधिक का योगदान देते हैं.
सरकार के 9.1 बिलियन डॉलर के ‘सेमीकॉन इंडिया’ कार्यक्रम का उद्देश्य सेमीकंडक्टर विनिर्माण और कार्यबल विकास को बढ़ावा देना है, जिससे भारत के तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा मिलेगा.
“भारत ने दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्ट आबादी में से एक बनाई है, जो पृष्ठभूमि में काम करने वाले सेमीकंडक्टर द्वारा संचालित है. सेमीकंडक्टर का गहरा व्यावसायिक, रणनीतिक और सामाजिक प्रभाव है,” IESA के निदेशक वेद प्रकाश मॉल ने कहा. सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, डिजिटल परिवर्तन, रक्षा, एयरोस्पेस, नवीकरणीय ऊर्जा, IoT, स्वास्थ्य सेवा, ऑटोमोटिव और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भारत के सेमीकंडक्टर बाजार का मूल्य 2023 में $45 बिलियन था और 2030 तक 13 प्रतिशत की CAGR से तेज़ी से बढ़कर $100 बिलियन को पार करने का अनुमान है.
काउंटरपॉइंट रिसर्च के शोध निदेशक तरुण पाठक ने कहा कि हैंडसेट क्षेत्र भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग में अग्रणी शक्ति है, जो देश के डिजिटल परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि अधिक उपभोक्ता फीचर फोन से स्मार्टफोन पर जा रहे हैं. “यह वृद्धि सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म, सस्ती कीमतों, सुलभ डेटा और 5 जी नेटवर्क के विस्तार के बढ़ते उपयोग से प्रेरित है. साथ ही, भारत का आईटी क्षेत्र फल-फूल रहा है, जिसे महामारी से प्रेरित डिजिटलीकरण और ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी सरकारी पहलों का समर्थन प्राप्त है,” उन्होंने उल्लेख किया.
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस महीने कहा कि भारत दुनिया के लिए अगला सेमीकंडक्टर हब बनने की ओर बढ़ रहा है क्योंकि देश में इस क्षेत्र में बड़ा निवेश हो रहा है.
भारत के सेमीकंडक्टर विनिर्माण क्षेत्र में कम समय में 1.52 लाख करोड़ रुपये (लगभग 18 बिलियन डॉलर) से अधिक का निवेश आया है और कई परियोजनाएं पहले से ही पाइपलाइन में हैं.
काउंटरपॉइंट रिसर्च के उपाध्यक्ष नील शाह ने कहा कि चल रहे 5G और फाइबर नेटवर्क रोलआउट के साथ दूरसंचार क्षेत्र इस विस्तार का केंद्र है.
“भारतनेट जैसी परियोजनाएँ और फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (FWA) जैसे समाधान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ फाइबर की तैनाती चुनौतीपूर्ण है. भारत में सेमीकंडक्टर की माँग हाई-स्पीड कनेक्टिविटी की आवश्यकता से प्रेरित होगी,” शाह ने कहा.