नई दिल्ली. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि भारत की फार्मा इंडस्ट्री मात्रा के हिसाब से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री मानी जाती है और वित्त वर्ष 2023-24 में फार्मास्युटिकल मार्केट का मूल्य 50 बिलियन डॉलर हो गया है.
राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में फार्मास्युटिकल मार्केट का घरेलू उपभोग मूल्य 23.5 बिलियन डॉलर और निर्यात मूल्य 26.5 बिलियन डॉलर रहा.
भारतीय फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री की वैश्विक स्तर पर मजबूत उपस्थिति है. यह उत्पादन के मूल्य के मामले में भी 14वें स्थान पर है, जिसमें जेनेरिक दवाएं, बल्क ड्रग्स, ओवर-द-काउंटर दवाएं, टीके, बायोसिमिलर और बायोलॉजिक्स शामिल हैं.
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी 2024 के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए स्थिर मूल्यों पर फार्मास्यूटिकल्स, औषधीय और बोटैनिकल प्रोडक्ट के लिए कुल उत्पादन 4,56,246 करोड़ रुपये है, जिसमें से 1,75,583 करोड़ रुपये वैल्यू एडेड है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान फार्मास्यूटिकल्स, औषधीय और बोटैनिकल प्रोडक्ट उद्योग में 9,25,811 लोग लगे हुए थे.
इस बीच, राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के रूप में सात राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (एनआईपीईआर) स्थापित किए हैं.
ये संस्थान स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की शिक्षा प्रदान करते हैं, साथ ही विभिन्न फार्मा विशेषज्ञताओं में उच्च स्तरीय शोध भी करते हैं.
इसके अलावा, विभाग ने फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों में रिसर्च, विकास और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय नीति भी तैयार की है.
इसका उद्देश्य इस क्षेत्र में इनोवेशन के लिए एक इकोसिस्टम बनाना भी है, ताकि भारत एक उद्यमशील वातावरण तैयार कर दवा खोज और इनोवेटिव मेडिकल डिवाइस में अग्रणी बन सके.