भारत की ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री 2024-25 में 80 बिलियन डॉलर कारोबार के करीब : रूबिक्स डेटा साइंसेज

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 20-11-2024
India's auto parts industry close to $80 billion turnover in 2024-25: Rubix Data Sciences
India's auto parts industry close to $80 billion turnover in 2024-25: Rubix Data Sciences

 

मुंबई. भारत की ऑटोमोटिव कंपोनेंट इंडस्ट्री का राजस्व वित्त वर्ष 2025 में 80.1 बिलियन डॉलर को पार करने की उम्मीद है. जबकि, इंडस्ट्री का निर्यात पहले ही 21.2 बिलियन डॉलर को छू चुका है.  

बी2बी जोखिम प्रबंधन कंसल्टेंसी रूबिक्स डेटा साइंसेज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020 से देश के ऑटोमोटिव कंपोनेंट का उत्पादन 8 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है, जबकि इसी अवधि के दौरान निर्यात में 10 प्रतिशत सीएजीआर दर्ज किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में कुल उत्पादन में ईवी कंपोनेंट इंडस्ट्री का योगदान दोगुना होकर 6 प्रतिशत हो गया. बैटरी तकनीक और पावरट्रेन सिस्टम महत्वपूर्ण सेक्टर बनकर उभर रहे हैं, जिसमें ईवी निर्माण लागत का 45 प्रतिशत हिस्सा शामिल है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईवी 30@30 पहल द्वारा समर्थित भारत के ईवी बाजार में वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2024 तक बिक्री में 76 प्रतिशत से अधिक सीएजीआर की वृद्धि देखी गई और इस गति को बनाए रखने का अनुमान है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि स्थानीयकरण और आत्मनिर्भरता पर भारत सरकार के फोकस ने घरेलू विनिर्माण क्षमताओं में महत्वपूर्ण निवेश को बढ़ावा दिया है.

वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 2024 के बीच निर्यात में 10 प्रतिशत सीएजीआर देखा गया, जो 21.3 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें अमेरिका सबसे बड़ा बाजार रहा.

साथ ही वित्त वर्ष 2024 में 300 मिलियन डॉलर ट्रेड सरप्लस दर्ज हुआ, जो भारत के ग्लोबल ऑटोमटिव सप्लाई चेन में स्ट्रैजिक शिफ्ट को दर्शाता है.

रिपोर्ट टेक्नोलॉजी अपग्रेड और आधुनिकीकरण में निवेश पर भी ध्यान केंद्रित करती है, जिसमें भारतीय निर्माता कैपेसिटी एक्सपेंशन और इनोवेशन के लिए 2.5 बिलियन डॉलर से 3 बिलियन डॉलर आवंटित करते हैं.

यह एडवांस कंपोनेन्ट जैसे इलेक्ट्रिक मोटर्स, एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (एडीएएस) और लाइटवेट मटीरियल की बढ़ती मांग से जुड़ा है.

रिपोर्ट में एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम बाजार में छह गुना वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जो वित्त वर्ष 2023 में 169 मिलियन डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2028 तक लगभग 1 बिलियन डॉलर हो जाएगा.

रूबिक्स डेटा साइंसेज के सह-संस्थापक और सीईओ मोहन रामास्वामी ने कहा, "वाहन उत्पादन में मजबूत वृद्धि, मजबूत सरकारी समर्थन और घटक निर्माताओं की अटूट प्रतिबद्धता, गुणवत्ता और इनोवेशन के लिए भारत तेजी से वैश्विक ऑटोमोटिव आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन रहा है. हमारा मानना है कि यह गति भारत को वैश्विक ओईएम के लिए एक सोर्सिंग हब के रूप में स्थापित करेगी."

पीएलआई योजना, पीएम ई-बस सेवा पहल और वाहन स्क्रैपेज नीति जैसी नीतियां उद्योग के विकास में और मदद कर रही हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑटोमोटिव मिशन प्लान 2047 में महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, जिसमें 2047 तक ऑटोमोटिव वाहनों और घटकों के निर्यात में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल है, जो भारत को वैश्विक विनिर्माण महाशक्ति के रूप में स्थापित करता है.

हालांकि, इंडस्ट्री को ईवी घटकों के बढ़ते चीनी आयात और कड़े बीएस VII मानदंडों को अपनाने जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की ऑटोमोटिव कंपोनेंट इंडस्ट्री का भविष्य उज्ज्वल है, एडीएएस में निवेश वित्त वर्ष 2028 तक छह गुना बढ़कर 1 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है.

वहीं, 2028 तक आफ्टरमार्केट सेगमेंट के 14 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो कि प्री-ओन्ड वाहनों की बिक्री और बढ़ते वाहन पार्क के कारण है, जिसके 2028 तक 340 मिलियन यूनिट से अधिक होने का अनुमान है.