नई दिल्ली
सोने की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच निवेशकों के रुझान के चलते भारत का सोना आयात मार्च 2025में 192.13%की भारी छलांग लगाकर 4.47अरब डॉलर तक पहुंच गया.
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2024में सोने का आयात केवल 1.53अरब डॉलर था.वहीं पूरे वित्त वर्ष 2024-25के दौरान सोने का कुल आयात 27.27%बढ़कर 58अरब डॉलर रहा, जबकि इससे पिछले वर्ष यह 45.54अरब डॉलर था.
विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों द्वारा सोने को एक सुरक्षित संपत्ति के रूप में प्राथमिकता देने, वैश्विक बाजारों में अस्थिरता, बैंकों की मांग में बढ़ोतरी और कीमतों में आए उछाल के कारण यह वृद्धि देखने को मिली है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 17अप्रैल को सोने की कीमत 70रुपये की तेजी के साथ रिकॉर्ड स्तर 98,170रुपये प्रति 10ग्राम तक पहुंच गई.वैश्विक स्तर पर डॉलर की कमजोरी, व्यापारिक तनाव और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आयात शुल्क नीतियों के चलते सोने की कीमतों में रिकॉर्ड उछाल देखा गया.
हालांकि चांदी के बाजार में गिरावट देखी गई.मार्च में चांदी का आयात 85.4%घटकर केवल 11.93करोड़ डॉलर रह गया.सालाना आधार पर 2024-25में यह 11.24%गिरकर 4.82अरब डॉलर पर आ गया.
स्विट्जरलैंड भारत में सोने का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, जिसकी हिस्सेदारी करीब 40%है.इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (16%) और दक्षिण अफ्रीका (10%) का स्थान है.हालांकि मूल्य के लिहाज से सोने का आयात बढ़ा है, लेकिन मात्रा में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई.2023-24में जहां 795.32टन सोना आयात हुआ था, वहीं 2024-25में यह घटकर 757.15टन रह गया.
गौरतलब है कि फरवरी 2025में सोने का आयात 62%तक घट गया था, जबकि जनवरी और दिसंबर 2024में इसमें क्रमश: 40.8%और 55.39%की बढ़त देखी गई थी.इस आयात वृद्धि के कारण मार्च में देश का व्यापार घाटा बढ़कर 21.54अरब डॉलर हो गया। वित्त वर्ष 2023-24में यह आंकड़ा 282.82अरब डॉलर तक पहुंच गया था, जो अब तक का सर्वाधिक स्तर है.
चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोना उपभोक्ता है और इसका आयात मुख्य रूप से आभूषण उद्योग की मांग को पूरा करने के लिए होता है.मार्च में रत्न और आभूषण निर्यात सालाना आधार पर 10.62%बढ़कर लगभग 3अरब डॉलर पहुंच गया, हालांकि पूरे वर्ष के दौरान यह घटकर 29.82अरब डॉलर रह गया, जो 2023-24में 32.7अरब डॉलर था.
भारत का चालू खाता घाटा (CAD) भी अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बढ़कर 11.5अरब डॉलर (जीडीपी का 1.1%) हो गया, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 10.4अरब डॉलर था.अप्रैल से दिसंबर 2024के दौरान यह घाटा 37अरब डॉलर तक पहुंच गया.