कैबिनेट ने किसानों के लिए डीएपी पर सब्सिडी की समयसीमा बढ़ाने को मंजूरी दी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 02-01-2025
Cabinet approves extension of subsidy deadline on DAP for farmers
Cabinet approves extension of subsidy deadline on DAP for farmers

 

नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनट की बैठक ने बुधवार को किसानों को सस्ती कीमतों पर डीएपी की लगातार उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 1 जनवरी, 2025 से अगले आदेश तक डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) पर एनबीएस सब्सिडी से अलग 3,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन (एमटी) के एकमुश्त विशेष पैकेज के विस्तार के फर्टिलाइजर डिपार्टमेंट के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
 
कैबिनेट द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया कि इस फैसले से किसानों को सब्सिडी वाली, सस्ती और उचित कीमतों पर डीएपी की अधिक उपलब्धता सुनिश्चित होगी.
 
बयान में आगे कहा गया है कि किसानों को सस्ती कीमतों पर डीएपी फर्टिलाइजर की सुचारू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए स्वीकृत एनबीएस सब्सिडी के अलावा 3,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से डीएपी पर विशेष पैकेज 1 जनवरी, 2025 से अगले आदेश तक प्रदान किया जाएगा.
 
सरकार फर्टिलाइजर निर्माताओं और आयातकों के माध्यम से किसानों को सब्सिडी वाले मूल्यों पर पीएंडके फर्टिलाइजर के 28 ग्रेड उपलब्ध कराती हैं. पीएंडके फर्टिलाइजर पर सब्सिडी 1 अप्रैल, 2010 से एनबीएस योजना द्वारा दी जा रही है.
 
बयान में कहा गया है, "किसानों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, भारत सरकार ने डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक की कीमत को अपरिवर्तित रखते हुए किसानों को बड़ी राहत दी है."
 
भू-राजनीतिक बाधाओं और वैश्विक बाजार स्थितियों की अस्थिरता के बावजूद, सरकार ने खरीफ और रबी 2024-25 के लिए किसानों को सस्ती कीमतों पर डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित करके किसान-हितैषी दृष्टिकोण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखी है.
 
जुलाई 2024 में कैबिनेट ने एनबीएस सब्सिडी से अलग डीएपी पर एकमुश्त विशेष पैकेज को 1 अप्रैल 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक 3,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से मंजूरी दी थी, जिसका अनुमानित वित्तीय लागत 2,625 करोड़ रुपये था.
 
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चालू सीजन में अब तक विभिन्न रबी फसलों के तहत देश में बोया गया कुल कृषि क्षेत्र बढ़कर 614.94 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 611.8 लाख हेक्टेयर था.
 
गेहूं की बुआई का रकबा पिछले साल की इसी अवधि के 313.00 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 319.74 लाख हेक्टेयर हो गया है, जिससे इस सीजन में अनाज का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों की बारिश से भी फसल को लाभ मिलने की उम्मीद है.
 
दलहनों के तहत कुल रकबा 136.13 लाख हेक्टेयर बताया गया है, जबकि श्रीअन्न और मोटे अनाज के तहत 48.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई की गई है और तिलहन के तहत 96.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है.
 
कुल बुआई क्षेत्र में वृद्धि से आवश्यक खाद्य वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि होने की उम्मीद है और इससे अर्थव्यवस्था में महंगाई को कम करने में मदद मिलेगी.