क्या इंटरनेट सर्फिंग से डिमेंशिया का खतरा बढ़ता है?

हाल के कुछ अध्ययनों से पता चला है कि नियमित इंटरनेट उपयोग और डिमेंशिया के खतरे के बीच संभावित संबंध हो सकता है, लेकिन, यह संबंध जटिल है और अभी भी पूरी तरह से समझा नहीं गया है.

कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि जो लोग अधिक समय तक इंटरनेट का उपयोग करते हैं उनमें डिमेंशिया विकसित होने का खतरा कम होता है.

इसके विपरीत, अन्य अध्ययनों में कोई संबंध नहीं पाया गया है या यहां तक कि यह भी पाया गया है कि अधिक इंटरनेट उपयोग डिमेंशिया के खतरे को बढ़ा सकता है.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये अध्ययन केवल अवलोकन संबंधी हैं, और यह साबित नहीं करते हैं कि इंटरनेट सर्फिंग सीधे तौर पर डिमेंशिया का कारण बनता है.

डिमेंशिया एक जटिल बीमारी है जिसके कई कारण होते हैं, जिनमें आनुवंशिकी, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारक शामिल हैं. इंटरनेट उपयोग का डिमेंशिया पर संभावित प्रभाव अभी भी अनुसंधान का विषय है.

यहां कुछ बातें हैं जो आप डिमेंशिया के खतरे को कम करने के लिए कर सकते हैं. स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जिसमें नियमित व्यायाम, पौष्टिक भोजन और पर्याप्त नींद शामिल हो.

अपने दिमाग को सक्रिय रखें पढ़ने, पहेलियां हल करने और नए शौक सीखने जैसे कार्यों में शामिल होकर. नियमित रूप से सामाजिक रहें और अपनों से जुड़े रहें.

धूम्रपान और अत्यधिक शराब सेवन से बचें. अपने डॉक्टर से नियमित रूप से जांच करवाएं.

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि डिमेंशिया को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, लेकिन आप अपनी जीवनशैली में बदलाव करके अपने जोखिम को कम कर सकते हैं.

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