हर धर्म के रहनुमा थे छत्रपति शिवाजी, मुसलमानों से भी था गहरा संबंध

शिवाजी के दादा मालोजीराव भोसले ने शिवाजी महाराज के पिता का नाम प्रसिद्ध सूफी संत शाह शरीफ के सम्मान में शाहजी और शरीफजी रखा था.

शिवाजी की नौसेना में बड़ी संख्या में मुसलमान सैनिक तैनात थे. खासकर सिद्दी मुसलमान.

शिवाजी ने अपनी राजधानी रायगढ़ में हिंदुओं के जगदीश्वर मंदिर की तरह ही मुस्लिम श्रद्धालुओं के लिए भी मस्जिद का निर्माण कराया था.

आगरा के किले में जब शिवाजी को कैद कर लिया गया था, उस समय वहां से भागने में जिन दो व्यक्तियों ने उनकी मदद की थी, उनमें से एक मुसलमान था. उसका नाम मदारी मेहतर था.

शिवाजी के राज्य में उनके गुप्तचर मामलों के सचिव मौलाना हैदर अली थे. वहीं उनके तोपखाने की कमान भी एक मुसलमान, इब्राहिम गर्दी के हाथों में थी.

प्रशासनिक नियुक्तियों में भी शिवाजी ने धर्मों को लेकर कभी भेदभाव नहीं किया. यही वजह है कि उनकी सेना में एक तिहाई आबादी मुस्लिमों की थी.

इसके अलावा फादर एंब्रोज को शिवाजी ने उस वक्त मदद पहुंचाई थी जब गुजरात के सूरत में उनकी चर्च पर हमला हुआ था.

सैन्य अभियान के दौरान अगर किसी को कुरान मिले तो उसका पूरा सम्मान किया जाए और उसे किसी मुसलमान को सौंप दिया जाए: शिवाजी

सैन्य अभियानों के दौरान मुस्लिम महिलाओं और बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया जाए. साथ ही किसी दरगाह या मस्जिद को नुकसान न पहुंचाया जाए: शिवाजी

शिवाजी ने हजरत बाबा याकूत थोरवाले को ताउम्र पेंशन देने का आदेश दिया था.

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