शाहनवाज आलम / नई दिल्ली
इंसेंटिव केयर यूनिट यानी आईसीयू शब्द सुनते ही जेहन में अस्पताल की तस्वीर उभरती है, लेकिन कर्नाटक के अब्दुल कादीर ने आईसीयू के मायने बदलते हुए एक नई शुरुआत की है. नाम दिया है अकादमिक इंसेंटिव केयर यूनिट (ए-आईसीयू).
खासतौर पर मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों और ड्रॉप आउट के लिए. इस अकादमिक आईसीयू में ऐसे विद्यार्थियों को विशेष कोचिंग देकर उन्हें मुख्यधारा के विद्यार्थियों के साथ लाने की कोशिश की जा रही है. इससे देश में एक सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है. हजारों युवा इससे लाभ उठा रहे हैं.
अब्दुल कादीर का कहना है कि ड्रॉप आउट और मदरसों के विद्यार्थियों को प्रोफेशनल कोर्स वाले विद्यार्थियों के कैटेगरी में लाने के मकसद से वर्ष 2003में इसकी शुरुआत की गई थी. इसमें 10-18 वर्ष के दसवीं, 12 वीं के अलावा मेडिकल एवं प्रोफेशनल कोर्स में दाखिला लेने के वाले विद्यार्थियों को मेन स्ट्रीम करिकुलम पढ़ाकर उन्हें मुख्यधारा के लिए तैयार किया जाता है.
हर वर्ष करीब 500 छात्रों को विशेष तौर पर पढ़ाया जाता है. यहां से पढ़े ड्रॉप और मदरसों के विद्यार्थी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया मिलिया इस्लामिया जैसे उच्चतर शिक्षा के बेहतरीन संस्थान में तालीम हासिल कर रहे हैं.
डॉ. अब्दुल कादीर पेशे से इंजीनियर और शिक्षाविद हं. बतौर शिक्षाविद वह देश के नौजवानों को शिक्षा के जरिये उनकी तकदीर और देश की तस्वीर बदलने के लिए बीते 17वर्षों से कर रहे हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत जापानी कंपनी मारोबनी कॉरपोरेशन से की थी.
इसके बाद सऊदी अरब चले गए. 1989में देश लौटने के बाद गरीब, पिछड़ों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने लगे. कर्नाटक के बीदर जिले में एक कमरे से शुरुआत की और अब यह शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस का रूप ले चुका है.
18 विद्यार्थियों के साथ शुरू की गई इस पहल से आज 20हजार से अधिक विद्यार्थी और 500से अधिक शिक्षक जुड़ चुके हैं. यह कर्नाटक में शिक्षा का एक बेहतरीन केंद्र बनकर उभरा है.
डॉ. कादीर का दावा है कि वर्ष 2014 के बाद से अब इस केंद्र से पढ़े 1000 से अधिक विद्यार्थी सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले चुके हैं. हर वर्ष मेडिकल में सफल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है.
शिक्षा के क्षेत्र में लगातार उत्कृष्ट कार्य के लिए गुरुकुल अवार्ड, कर्नाटक उर्दू अकादमी अवार्ड, कन्नड़ राज्योत्सव अवार्ड समेत कई मानद उपाधियों से नवाजे जा चुके है. फोब्र्स पत्रिका भी इनपर लेख प्रकाशित कर चुकी है.