मुन्नी बेगम | आवाज़ द वॉयस ब्यूरो
हर कोई लंबा, स्वस्थ और रोगमुक्त जीवन जीना चाहता है, लेकिन आधुनिक जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां लोगों के लिए गंभीर चुनौती बन गई हैं. इसी बीच 129 वर्षीय पद्मश्री स्वामी शिवानंद अपने दीर्घायु, अनुशासित और स्वस्थ जीवन के कारण प्रेरणा का केंद्र बन गए हैं. उनके अनुसार, लंबी उम्र और निरोगी जीवन का रहस्य तीन शक्तिशाली सिद्धांतों में निहित है: जल्दी उठना, सीमित भोजन करना और अनुशासित जीवनशैली अपनाना.
एक साधारण जीवन से असाधारण प्रेरणा तक का सफर
स्वामी शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को वाराणसी में हुआ था. बचपन में ही उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया था, जिसके बाद उनके रिश्तेदारों ने उनका पालन-पोषण किया. बाद में वे वाराणसी चले गए और वहां कठोर अनुशासन, योग और आध्यात्मिक जीवन को अपनाया. 100 वर्ष की उम्र पार करने के बाद भी वे एक सक्रिय जीवन जी रहे हैं और आज भी उनकी दिनचर्या अनुशासन व सादगी पर आधारित है.
पद्मश्री सम्मान और अंतरराष्ट्रीय पहचान
स्वामी शिवानंद को 21 मार्च 2022 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. जब उन्हें यह सम्मान मिला, तो राष्ट्रपति भवन ने पुष्टि की कि उनकी उम्र 125 वर्ष हो चुकी है. इसके बाद, उनकी प्रसिद्धि और भी बढ़ गई और उनके दीर्घायु जीवन पर चर्चा होने लगी.
हाल ही में उन्होंने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दुनिया के सबसे उम्रदराज व्यक्ति के रूप में आवेदन किया, लेकिन उनकी वास्तविक उम्र का सटीक निर्धारण एक चुनौती बनी हुई है. उनके पास आधिकारिक पासपोर्ट है और भारतीय अधिकारियों ने इसे वैध माना है.
योग और अनुशासन: जीवन का आधार
स्वामी शिवानंद पिछले 100 वर्षों से प्रयागराज, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार के कुंभ मेलों में भाग लेते आ रहे हैं. कुंभ मेले में उनके अनुयायी और श्रद्धालु उनसे मिलने के लिए उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं. उनकी दिनचर्या का मुख्य आधार योग, ध्यान और संतुलित आहार है. हाल ही में कोलकाता में आयोजित एक योग प्रशिक्षण सत्र में उन्होंने अपनी दिनचर्या के बारे में बताया:
"मैंने एक साधारण और अनुशासित जीवन जीने का निर्णय लिया है. मैं बहुत ही सादा भोजन करता हूं, जिसमें वसा और मसाले नहीं होते."
उनका कहना है कि जीवन की सादगी और अनुशासन ही उनके अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु का मुख्य कारण है.
तीन सिद्धांत जो जीवन को लंबा और स्वस्थ बनाते हैं
स्वामी शिवानंद ने तीन महत्वपूर्ण सिद्धांत बताए हैं जो किसी भी व्यक्ति को दीर्घायु और रोगमुक्त जीवन प्रदान कर सकते हैं:
जल्दी उठना: उनका मानना है कि सूर्योदय से पहले जागना शरीर और मन दोनों के लिए लाभकारी होता है.
सीमित भोजन करना: सादा, कम मसाले वाला और पौष्टिक भोजन ही शरीर को स्वस्थ रखता है.
अनुशासित जीवनशैली: नियमित योग, ध्यान और संयमित जीवनशैली व्यक्ति को निरोगी और सक्रिय बनाए रखती है.
तकनीक से दूरी, प्रकृति के करीब जीवन
स्वामी शिवानंद आधुनिक तकनीक और विलासितापूर्ण जीवनशैली से पूरी तरह दूर रहते हैं. वे कार, बिजली और टेलीफोन जैसी सुविधाओं का उपयोग नहीं करते और एक बेहद सादा जीवन जीते हैं. उनका निवास वाराणसी के दुर्गकुंड स्थित कबीर नगर में है, जहां वे अपनी साधना और योग का अभ्यास करते हैं.
उनका कहना है कि आधुनिक तकनीक मनुष्य को जटिल जीवनशैली में फंसा रही है और इससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
महाकुंभ में सक्रिय भागीदारी
स्वामी शिवानंद कुंभ मेले में अपनी भागीदारी को विशेष महत्व देते हैं. प्रयागराज कुंभ मेले के दौरान, संगम स्थल पर उनके शिविर के बाहर एक बैनर में उनके आधार कार्ड की प्रति लगी थी, जिसमें उनकी जन्मतिथि 8 अगस्त दर्ज थी.
अनुशासन और योग का जादू
स्वामी शिवानंद का जीवन हमें यह सिखाता है कि अनुशासन, संयम और योग की शक्ति से उम्र केवल एक संख्या रह जाती है. 129 वर्षों तक सक्रिय और निरोगी जीवन जीने वाले शिवानंद का मानना है कि यदि हम सादा भोजन करें, समय पर सोएं और अनुशासित रहें, तो हम भी एक स्वस्थ और लंबा जीवन जी सकते हैं.उनकी जीवनशैली और विचारधारा न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में प्रेरणा का स्रोत बन रही है.