15 साल की युसरा फातिमा ने बनाया विश्व रिकॉर्ड, सबसे अधिक कविताएं और किताबें लिखने वाली बनीं

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 25-10-2024
Yusra Fatma of Bihar wrote the most number of poetry books, made this record at the age of 15
Yusra Fatma of Bihar wrote the most number of poetry books, made this record at the age of 15

 

नौशाद अख्तर / पटना, सिवान

बिहार के सिवान जिले की एक होनहार बेटी युसरा फातिमा ने अपनी अद्वितीय प्रतिभा और लेखन कौशल से ‘बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में अपना नाम दर्ज करा लिया है. यह सम्मान उनकी उस अद्वितीय उपलब्धि के लिए दिया गया है, जिसमें उन्होंने कम उम्र में सबसे अधिक कविताएं और किताबें लिखने का रिकॉर्ड कायम किया है. बड़हरिया प्रखंड के तेतहली गांव की रहने वाली युसरा ने यह कारनामा महज 15 साल की उम्र में कर दिखाया है, जो आज एक प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं.

युसरा फातिमा का परिवार और शुरुआती जीवन

युसरा फातिमा का जन्म सिवान जिले के बड़हरिया प्रखंड के तेतहली गांव में हुआ. उनके पिता, शकील अहमद, अपनी बेटी की इस असाधारण उपलब्धि पर गर्व महसूस करते हैं. युसरा के परिवार ने हमेशा शिक्षा और साहित्यिक गतिविधियों को महत्व दिया है, जिसका प्रभाव युसरा पर बचपन से ही देखने को मिला. उनके माता-पिता ने न सिर्फ उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित किया, बल्कि उनकी रचनात्मकता को भी हमेशा प्रोत्साहित किया.

शिक्षा और कविताओं की शुरुआत

युसरा फातिमा गोपालगंज जिले के मांझा प्रखंड के विशंभरापुर में स्थित आरएम पब्लिक स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा हैं. उनकी कविता यात्रा मात्र 8 साल की उम्र में शुरू हुई. छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने विचारों और भावनाओं को कागज पर उतारना शुरू कर दिया. उनकी कविताएं समाज, इंसानी रिश्ते, और विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों पर आधारित होती हैं.

युसरा की पहली किताब ‘जज्बा’ जुलाई 2019 में प्रकाशित हुई, जब वह सिर्फ 12 साल की थीं। इस किताब ने न केवल साहित्य प्रेमियों को प्रभावित किया, बल्कि आलोचकों और पाठकों के बीच भी उनकी पहचान बनाई. इसके बाद उन्होंने ‘मेरे हिस्से की कोशिश,’ ‘शाम और तनहाई,’ और ‘बेरुखी’ जैसी किताबें लिखीं, जिनमें उनकी चौथी किताब ‘बेरुखी’ अप्रैल 2023 में प्रकाशित हुई. उनकी लेखनी में गहराई, संवेदनशीलता और सामाजिक चेतना साफ झलकती है.
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सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित कविताएँ

युसरा फातिमा की कविताओं की खासियत यह है कि वे सामाजिक मुद्दों पर आधारित होती हैं. उनकी रचनाओं में महिलाओं की समस्याएं, उनके अधिकारों की लड़ाई, शिक्षा की अहमियत और समाज में बदलाव की जरूरत जैसे विषय प्रमुखता से उठाए जाते हैं. उनकी कविताओं में एक अदम्य साहस और सशक्तिकरण की भावना है, जो समाज के कमजोर और वंचित वर्गों की आवाज बनती है.

विशेष रूप से, युसरा की कविताओं में महिला सशक्तिकरण का संदेश बहुत गहरा है. वह अपने लेखन के जरिए यह बताने की कोशिश करती हैं कि महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए और समाज में उनके योगदान को पहचाना जाना चाहिए. उनके साहित्य में महिलाओं की शिक्षा और आत्मनिर्भरता को लेकर एक मजबूत संदेश है, जो आज के समय में बेहद प्रासंगिक है.

युसरा का रिकॉर्ड और उपलब्धियाँ

युसरा की इस अद्वितीय लेखन यात्रा का परिणाम यह रहा कि उनका नाम ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में दर्ज हुआ. लेकिन, यह तो सिर्फ शुरुआत थी। महज एक साल के भीतर ही, उन्होंने ‘ब्रावो इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी अपनी जगह बना ली। यह एक अद्वितीय कीर्तिमान है, जो उनके दृढ़ संकल्प, मेहनत और साहित्यिक कौशल को दर्शाता है.

सबसे ज्यादा कविता की किताबें लिखने का विश्व रिकॉर्ड बनाकर, युसरा फातिमा ने न सिर्फ अपने परिवार और स्कूल, बल्कि पूरे सिवान और गोपालगंज जिले का नाम रोशन किया है। उनकी इस उपलब्धि पर परिवार, स्कूल, और साहित्य प्रेमियों में खुशी की लहर है. उनके गांव तेतहली में भी लोग उनकी इस सफलता का जश्न मना रहे हैं.

स्थानीय समाज और परिवार की प्रतिक्रिया

युसरा की इस सफलता ने उनके परिवार और शिक्षकों को गौरवान्वित किया है. आरएम पब्लिक स्कूल के शिक्षकों ने युसरा की मेहनत और समर्पण की तारीफ की है और कहा है कि उनकी यह उपलब्धि पूरे स्कूल के लिए गर्व की बात है.

परिवार के सदस्य और ग्रामीण भी युसरा की इस सफलता पर फूले नहीं समा रहे हैं. उनके पिता शकील अहमद ने कहा कि युसरा की यह सफलता उनके पूरे परिवार के लिए गर्व का क्षण है और उन्होंने अपनी बेटी को प्रोत्साहित करने के लिए हमेशा उसका साथ दिया है.
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रचनात्मकता ने दिलाई अद्वितीय पहचान 

युसरा फातिमा ने यह साबित कर दिया है कि उम्र केवल एक संख्या है. उनकी मेहनत, लगन और रचनात्मकता ने उन्हें एक अद्वितीय पहचान दिलाई है. यह सफलता उन सभी युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो अपने सपनों को पूरा करने की चाह रखती हैं. युसरा की कहानी न सिर्फ उनके गांव और जिले, बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए एक मिसाल है कि किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए प्रतिभा के साथ-साथ कड़ी मेहनत और समर्पण जरूरी है.

युसरा की यह उपलब्धि केवल उनकी नहीं, बल्कि समाज और विशेष रूप से उन लड़कियों की जीत है, जो सपने देखती हैं और उन्हें पूरा करने का साहस रखती हैं. उनके इस सफर की कहानी प्रेरणा और उम्मीद से भरी है, और वह दिन दूर नहीं जब युसरा फातिमा का नाम देश-विदेश में और भी ऊंचाइयों पर पहुंचेगा.