गुलाम कादिर
जीवन में सफलता प्राप्त करना कभी आसान नहीं होता, लेकिन जब परिस्थितियां कठिन होती हैं, तो यकीन और मेहनत की शक्ति से असंभव भी संभव हो जाता है. यह कहानी है 29 वर्षीय मुहम्मद यासीन की, जिन्होंने मस्जिद में बंटने वाले दाल-भात खाकर पढ़ाई की और केरल न्यायिक सेवा परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त कर मजिस्ट्रेट बनने का गौरव प्राप्त किया. यासीन का जीवन संघर्षों और कठिनाइयों से भरा हुआ था, लेकिन उन्होंने इन चुनौतियों को अपनी ताकत बनाया और अपनी मंजिल को पाया.
संघर्ष की शुरुआत
यासीन का जन्म केरल के पलक्कड़ जिले के छोटे से गांव विलायुर में हुआ था. जब वे सिर्फ तीन साल के थे, तो उनके पिता ने परिवार को छोड़ दिया, जिससे उनकी मां को बच्चों की परवरिश में अकेले ही संघर्ष करना पड़ा. यासीन और उनके छोटे भाई का पालन-पोषण उनकी मां, जो एक आशा कार्यकर्ता थीं, ने किया. यह समय बेहद कठिन था और घर की आर्थिक स्थिति भी बहुत कमजोर थी. यासीन और उनके भाई को गरीबी के साथ-साथ समाज से अपमान का भी सामना करना पड़ा.
जब यासीन सात साल के थे, तो उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए काम करना शुरू कर दिया. अख़बार डिलीवरी बॉय से लेकर दूध आपूर्तिकर्ता, पेंटर, निर्माण श्रमिक और खाद्य वितरण करने तक, यासीन ने जीवन यापन के लिए कई छोटे-मोटे काम किए. इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी. हमेशा अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष किया.
समाज से संघर्ष और शिक्षा की ओर कदम
यासीन की परवरिश एक अकेली मां द्वारा हुई, जिसके कारण उन्हें समाज से कई बार तिरस्कार और अपमान का सामना करना पड़ा. स्कूल में भी उनकी स्थिति खराब थी. उन्हें लगातार चिढ़ाया जाता था. लोग उन्हें यह कहते थे कि उनका भविष्य उज्जवल नहीं हो सकता. लेकिन यासीन ने इन अपमानों को अपनी ताकत बनाने का निर्णय लिया. उन्होंने अपनी कठिनाइयों से सीखा और इन्हें अपनी सफलता की सीढ़ी बनाया.
अपनी शिक्षा को लेकर यासीन ने कभी कोई समझौता नहीं किया. लोक प्रशासन में स्नातक की डिग्री और इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद, यासीन ने 2019 में एर्नाकुलम गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में दाखिला लिया. लेकिन कानून की डिग्री हासिल करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे, तो उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए कोच्चि में रात में जोमैटो के लिए खाद्य वितरण करने का काम शुरू कर दिया.
यासीन की कड़ी मेहनत और संघर्ष का परिणाम यह हुआ कि उन्होंने अपनी पढ़ाई में सफलता प्राप्त की. वह लगातार विश्वविद्यालय में टॉप फाइव छात्रों में रहते थे और उन्होंने कई मूट कोर्ट प्रतियोगिताओं में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. उनके सहपाठी शमना शेरिन ने यासीन को एक होनहार छात्र के रूप में याद किया और सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘पहले साल में वह एक औसत छात्र की तरह लग रहे थे, लेकिन दूसरे साल से ही उन्होंने अपनी योग्यता को साबित करना शुरू कर दिया.’’
शिक्षा के क्षेत्र में संघर्ष और कानून में उत्कृष्टता
यासीन के जीवन का सबसे कठिन पहलू था उनकी पढ़ाई के लिए आवश्यक संसाधनों का अभाव. लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी पढ़ाई सेकंड-हैंड किताबों से की और दूसरों द्वारा दिए गए पुराने कपड़े पहने. उनका भोजन मस्जिद द्वारा दान किए गए चावल से होता था. उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन सभी का आभारी हूँ जिन्होंने मेरी मदद की, खासकर मेरे वरिष्ठ वकील शाहुल हमीद पीटी का, जिन्होंने मुझे अपना कार्यालय देने से पहले मुझे मार्गदर्शन दिया.’’
एलएलबी की डिग्री पूरी करने के बाद, यासीन ने मार्च 2023 में वकील के रूप में नामांकन कराया और जल्द ही अपने पहले वर्ष में ही उत्कृष्ट वकील का पुरस्कार जीतने में सफल रहे.
न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता और मजिस्ट्रेट बनने का सपना पूरा
यासीन की जीवन यात्रा यहीं खत्म नहीं हुई. अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ, यासीन ने केरल न्यायिक सेवा परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त किया और मजिस्ट्रेट की उपाधि हासिल की. यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था और उन्होंने इसे एक नई शुरुआत के रूप में देखा.
यासीन का मानना है कि जीवन हमेशा विकासशील होता है और उन्होंने कभी भी आत्मसंतुष्टि को अपने रास्ते का हिस्सा नहीं बनाया. वे कहते हैं, ‘‘मुझे नहीं लगता कि मैं अपनी अंतिम मंजिल पर पहुँच चुका हूँ, क्योंकि जीवन जैविक है और इसे हमेशा विकसित होना चाहिए.’’ उनके लिए यह सफलता सिर्फ एक कदम था और वे इसे अपने और अपने समुदाय के लिए और अधिक हासिल करने की दिशा में एक मील का पत्थर मानते हैं.
सकारात्मकता और उद्देश्य
यासीन का उद्देश्य स्पष्ट है. वे हमेशा उन उत्पीड़ित वर्गों का प्रतिनिधित्व करेंगे, जिनसे वे खुद संबंधित हैं. उनका मानना है कि जो व्यक्ति कठिन परिस्थितियों से गुजरा हो, वही उन परिस्थितियों को सबसे अच्छे तरीके से समझ सकता है और उनकी मदद कर सकता है. यासीन ने कहा, ‘‘सकारात्मकता की शक्ति को अपनाकर और अधिकार की स्थिति में रहते हुए, मैं हमेशा उन उत्पीड़ित वर्गों का प्रतिनिधि रहूँगा, जिनसे मैं ताल्लुक रखता हूँ.’’
संदेश
यासीन की यात्रा हम सभी के लिए एक प्रेरणा है. यह साबित करता है कि अगर आपकी मेहनत ईमानदारी से हो और आपके इरादे मजबूत हों, तो कोई भी सपना असंभव नहीं होता. उनके संघर्ष और सफलता की कहानी यह सिखाती है कि जीवन में परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर हम अपनी मेहनत और सही दिशा में कदम बढ़ाते रहें, तो सफलता निश्चित रूप से मिलेगी.