आवाज द वाॅयस नई दिल्ली
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के अनुभवी प्रोफेसर मज़हर आसिफ को जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) का 16वां कुलपति नियुक्त किया गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, जो जामिया मिलिया इस्लामिया के विजिटर के रूप में कार्य कर रही हैं, ने उन्हें इस पद पर पांच वर्षों के लिए या 70 वर्ष की आयु तक के लिए नियुक्त किया है. यह नियुक्ति जामिया समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है, जहां शिक्षा, संस्कृति, और राजनीति के मिलन बिंदु पर चर्चा होने की संभावना है.
प्रोफेसर मज़हर आसिफ: एक परिचय
2 जनवरी 1971 को जन्मे प्रोफेसर मज़हर आसिफ फारसी भाषा और साहित्य के विशेषज्ञ हैं. उन्होंने जेएनयू से फारसी भाषा में पीएचडी की है और यूजीसी से पोस्ट-डॉक्टोरल की डिग्री प्राप्त की है. उनके शिक्षण और शोध के क्षेत्र में व्यापक योगदान ने उन्हें भारतीय अकादमिक समुदाय में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया है.
अपने करियर के दौरान, उन्होंने नौ महत्वपूर्ण किताबें लिखी हैं, जिनमें एक व्यापक फ़ारसी-असमिया-अंग्रेज़ी शब्दकोश भी शामिल है. इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं, जिससे उनकी वैश्विक पहचान बनी है.
वर्तमान में, प्रोफेसर आसिफ जेएनयू के स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज, लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज के अंतर्गत फ़ारसी और मध्य एशियाई अध्ययन केंद्र में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं. वह एक अनुभवी शिक्षक के रूप में भी जाने जाते हैं, जिन्होंने न केवल शैक्षणिक क्षेत्र में योगदान दिया है, बल्कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के मसौदा समिति के सदस्य के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) और राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद (एनसीपीयूएल) में भी नेतृत्वकारी भूमिका निभाई है.
जामिया मिलिया इस्लामिया के नए नेतृत्व से उम्मीदें
प्रोफेसर मज़हर आसिफ की इस नियुक्ति को जामिया मिलिया इस्लामिया के भविष्य के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इस नियुक्ति के साथ ही छात्रों और शिक्षकों के बीच उम्मीदें जागी हैं कि प्रोफेसर आसिफ के नेतृत्व में विश्वविद्यालय नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा.
सैयद अनवर काफ़ी, एक जामिया के पूर्व छात्र, ने सोशल मीडिया पर लिखा, "आखिरकार, प्रतीक्षा का समय समाप्त हो गया है। जामिया मिलिया इस्लामिया को एक नया कुलपति मिल गया है. मुझे उम्मीद है कि जामिया इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए काम करेगा."हालांकि, सभी की राय सकारात्मक नहीं है. कुछ लोगों ने प्रोफेसर आसिफ की नियुक्ति को लेकर शंकाएँ भी व्यक्त की हैं.
वैचारिक स्वतंत्रता पर सवाल
जामिया मिलिया इस्लामिया लंबे समय से एक प्रगतिशील और वैचारिक रूप से स्वतंत्र संस्थान के रूप में पहचाना जाता है. ऐसे में प्रोफेसर आसिफ की नियुक्ति को लेकर एक सवाल यह उठ रहा है कि क्या उनका नेतृत्व विश्वविद्यालय की वैचारिक स्वायत्तता के लिए चुनौती साबित हो सकता है.
कुछ छात्रों और शिक्षकों का मानना है कि प्रोफेसर आसिफ की नियुक्ति के पीछे राजनीतिक उद्देश्य हो सकते हैं. एक छात्र ने अपनी शंका व्यक्त करते हुए कहा, "हमें उन पर नज़र रखनी होगी ताकि जामिया की स्वतंत्रता और उसकी धरोहर को कोई नुकसान न पहुंचे."
शैक्षणिक योगदान और भविष्य की संभावनाएं
हालांकि राजनीतिक विवादों के बावजूद, प्रोफेसर मज़हर आसिफ की शैक्षणिक साख और अनुभव उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं। उन्होंने फ़ारसी साहित्य, सूफीवाद, और मध्यकालीन भारतीय इतिहास जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
इसके अलावा, उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रमुख शैक्षिक संगठनों और समितियों में अपनी सेवाएं दी हैं. उनके नेतृत्व में जामिया मिलिया इस्लामिया को शिक्षा और शोध के क्षेत्र में और भी आगे बढ़ने की उम्मीद है.
जामिया मिलिया इस्लामिया, जिसे 1920 में अलीगढ़ में स्थापित किया गया था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण शैक्षिक केंद्र रहा है. यह विश्वविद्यालय, अब एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता प्राप्त, अपनी वैचारिक स्वतंत्रता और प्रगतिशील दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है. प्रोफेसर आसिफ के नेतृत्व में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वे कैसे विश्वविद्यालय को इन धरोहरों के साथ संतुलित रखते हुए नई ऊंचाइयों पर ले जाते हैं.
इस्लामिया के लिए महत्वपूर्ण मोड़
प्रोफेसर मज़हर आसिफ की नियुक्ति जामिया मिलिया इस्लामिया के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है. एक तरफ, उनकी शैक्षणिक साख और नीति निर्माण में भागीदारी उन्हें एक मजबूत नेतृत्वकर्ता बनाती है, वहीं दूसरी तरफ उनके राजनीतिक संबंधों को लेकर उठते सवाल उनकी नियुक्ति को विवादित बनाते हैं.
आने वाले वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा कि वे जामिया को किस दिशा में लेकर जाते हैं और किस प्रकार से विश्वविद्यालय की शैक्षणिक और वैचारिक धरोहर को बनाए रखते हुए उसे और आगे बढ़ाते हैं.
एक नजर में प्रोफेसर मज़हर आसिफ का कॅरियर
योग्यताएँ
एम.ए. (जेएनयू), पीएच.डी. (जेएनयू), पोस्ट डॉक्टोरल (यूजीसी)
रुचि/विशेषज्ञता के क्षेत्र
सूफीवाद और भारत का मध्यकालीन इतिहास
प्रशासनिक अनुभव:
सदस्य - राष्ट्रीय शैक्षिक नीति के लिए मसौदा समिति, भारत सरकार
सदस्य - शिक्षा के लिए राष्ट्रीय निगरानी समिति, एमएचआरडी
सदस्य कार्यकारी परिषद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
सदस्य कार्यकारी परिषद मौलाना अबुलकलाम आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद
सदस्य अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और पांडिचेरी विश्वविद्यालय, यूजीसी के शैक्षणिक और वित्तीय लेखा परीक्षा के लिए यूजीसी द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति
सदस्य-एनएएसी पीयर टीम
अध्यक्ष, राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, गुवाहाटी
सदस्य परियोजना सलाहकार समिति, भारतीय अनुवाद मिशन, भारत सरकार.
सदस्य-राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद, नई दिल्ली
शिक्षण अनुभव
स्नातकोत्तर स्तर पर 20 वर्ष से अधिक का शिक्षण अनुभव
शोध अनुभव
निर्देशन में आठ विद्वानों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई है.
पुरस्कार और सम्मान
सर्वश्रेष्ठ सहकर्मी समीक्षित प्रकाशन
सर्वश्रेष्ठ सहकर्मी समीक्षित प्रकाशन (5 तक)
हाल ही में सहकर्मी समीक्षित पत्रिकाएँ/पुस्तकें
1200 से अधिक पृष्ठों वाला फ़ारसी-असमिया-अंग्रेज़ी शब्दकोश गुवाहाटी विश्वविद्यालय द्वारा संकलित और प्रकाशित किया गया है
फ़ारसी-अंग्रेज़ी और असमिया भाषाओं में 25 से अधिक लेख और 9 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं.
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और संगोष्ठियों में 20 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए हैं.