फरहान इसराइली, जयपुर
आजकल जब समाज में बुराई, भेदभाव और नफरत की खबरें कहीं न कहीं हर दिन सुनाई देती हैं, ऐसे में एक 12 वर्षीय लड़की ने यह साबित कर दिया है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है और अगर कोई ठान ले तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए उसे किसी बड़े अनुभव या उम्र की जरूरत नहीं होती.यह प्रेरणा देने वाली कहानी है जयपुर की नन्ही समाज सेविका, इनाया खान की, जिन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में समाज के सामने एक नई मिसाल पेश की है.
इनाया खान, जिनका जन्म जयपुर में हुआ, अपनी शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं.2019 में उन्हें राजस्थान सरकार की महिला सशक्तिकरण कार्यशाला द्वारा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का जयपुर जिला ब्रांड एंबेसडर चुना गया था, और इस अभियान के तहत उन्होंने न केवल अपने शहर, बल्कि पूरे राज्य में बेटियों के अधिकारों और उनकी शिक्षा को लेकर जागरूकता फैलाने का काम किया.
बचपन से ही संवेदनशीलता की शुरुआत
इनाया के जीवन में सामाजिक कार्यों की शुरुआत बहुत छोटी उम्र से हुई थी.महज 4 साल की उम्र में जब उन्होंने टेलीविजन पर या समाचार पत्रों में बेटियों के साथ हो रहे अन्याय को देखा, तो उनका दिल टूट गया.इस संवेदना के साथ उनका मन समाज के प्रति संवेदनशील हो गया.
उन्हें यह एहसास हुआ कि समाज में बेटियों को समान अवसर नहीं मिलते और कई जगहों पर उनकी स्थिति बहुत दयनीय है.इसी संवेदना ने उन्हें अपने आसपास के गरीब बच्चों की मदद करने, उनकी शिक्षा में योगदान देने और खासकर बेटियों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया.
इनाया की मां डॉ. बेनज़ीर खान का इनकी इस यात्रा में बहुत बड़ा हाथ रहा.डॉ. बेनज़ीर ने अपनी बेटी को बचपन से ही समाज के प्रति सजग और संवेदनशील बनाया.
वे बताती हैं, “इनाया को बचपन से ही समाज के बारे में सिखाना शुरू किया था.घर में हम हमेशा दूसरों की मदद करने की बात करते थे और समाज के हर वर्ग के बारे में संवेदनशील रहने की कोशिश करते थे.”
सशक्त सामाजिक कार्यों की शुरुआत
इनाया के लिए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का यह सफर एक व्यक्तिगत पहल से शुरू हुआ.अपनी छोटी सी उम्र में ही उन्होंने राजस्थान के सीरियल्स और शॉर्ट मूवीज के माध्यम से बेटी बचाओ अभियान पर आधारित मुद्दों को उजागर करना शुरू किया.
इनाया का मानना है कि हमें बेटी को केवल बचाना ही नहीं, बल्कि उन्हें शिक्षा देना और उन्हें समान अवसर देना चाहिए,
ताकि वे अपने जीवन में कुछ बड़ा हासिल कर सकें.इनायाने अपनी कला के माध्यम से इस मुद्दे को लेकर समाज में जागरूकता फैलानी शुरू की.
बेटी बचाओ अभियान में उनका योगदान इतना प्रभावी था कि राजस्थान सरकार ने उन्हें इस अभियान का ब्रांड एंबेसडर बना दिया.यह उनकी मेहनत, निष्ठा और समर्पण का प्रमाण है कि एक छोटी सी लड़की, जो अब तक खुद शिक्षा ले रही थी, उसने समाज में बदलाव लाने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम उठाया.
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का ब्रांड एंबेसडर
इनाया खान के काम को देख कर यह साबित हो गया कि अगर किसी में कुछ करने का जुनून हो, तो वह अपनी उम्र और परिस्थितियों की परवाह किए बिना समाज में बदलाव ला सकता है.
उन्होंने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के जरिए न केवल खुद को बल्कि अन्य बच्चों को भी यह संदेश दिया कि बेटियों को केवल जन्म देने के बजाय उन्हें आगे बढ़ाने का काम समाज का हर व्यक्ति कर सकता है.
इनायाका मानना है कि बेटियां समाज की प्रगति का प्रतीक होती हैं और उनका सम्मान करना ही समाज की असल ताकत है.
इन्हीं विचारों के साथ इनाया ने हमेशा अपने भाषणों और कार्यों में यह संदेश दिया है कि बेटियों के साथ हो रहे अत्याचार और भेदभाव को रोका जाना चाहिए.उ
नका उदाहरण देने के लिए वह देश की बेटी, कल्पना चावला का नाम लेती हैं और कहती हैं, “कल्पना चावला ने सही दिशा में समर्थन पाकर आसमान की ऊंचाइयों को छुआ.अगर हम बेटियों को सही दिशा में मार्गदर्शन दें तो कई और कल्पनाओं चावला समाज को मिल सकती हैं.”
संगठित प्रयास और अभिभावकों का योगदान
इनाया के परिवार ने उनकी सफलता में अहम योगदान दिया है.उनकी मां डॉ. बेनज़ीर खान ने हमेशा उन्हें प्रेरित किया और सामाजिक मुद्दों पर जागरूक किया.इनायाके पिता का भी इस प्रक्रिया में बहुत साथ था.
वे हमेशा उन्हें सकारात्मक दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करते थे.इनायाका कहना है, “मेरे परिवार का योगदान मेरे लिए सबसे अहम रहा है.मेरी मां ने मुझे हमेशा सिखाया कि समाज की सेवा सबसे बड़ा पुण्य है.”
एक प्रेरणादायक यात्रा
इनाया की यह यात्रा सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह हमें यह सिखाती है कि अगर समाज में बदलाव लाना हो तो हमें छोटी-छोटी पहल से शुरुआत करनी चाहिए
.इनाया ने यह साबित कर दिया कि अगर किसी के अंदर सच्चा जुनून और उद्देश्य हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती.उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण के साथ समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर एक मिसाल पेश की है.
आज, इस छोटी सी लड़की ने समाज के लिए जो कार्य किए हैं, वह हर उम्र के लोगों के लिए एक प्रेरणा है.इनायाखान की यह कहानी बताती है कि अगर किसी व्यक्ति में सच्ची निष्ठा और समर्थन हो तो वह न केवल अपनी चुनौतियों को पार कर सकता है, बल्कि समाज में भी बदलाव ला सकता है.
इनायाखान ने अपने जीवन में बहुत कम उम्र में ही यह साबित कर दिया है कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती.उनके कार्य और सोच ने यह सिद्ध कर दिया कि जब हम सच्चे इरादों से काम करते हैं तो कोई भी मुश्किल हमें अपने लक्ष्य से नहीं हटा सकती.