आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
भारत सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान के तहत एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट का हिंदी डोमेन नाम "गृहकार्य.सरकार.भारत" लॉन्च किया है. खास बात यह है कि यदि उपयोगकर्ता अब भी पारंपरिक mha.gov.in URL टाइप करते हैं, तो उन्हें स्वतः ही इस हिंदी डोमेन पर रीडायरेक्ट कर दिया जाता है.
इस बदलाव को डिजिटल समावेशन और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है.
क्या है ‘गृहकार्य.सरकार.भारत’ और क्यों है यह अहम?
केंद्रीय गृह मंत्रालय की वेबसाइट अब अंग्रेज़ी URL के साथ-साथ हिंदी में भी उपलब्ध है। नए डोमेन की संरचना है: https://गृहकार्य.सरकार.भारत/en
यह न केवल सरकारी वेबसाइटों की पहचान को भारतीय भाषाओं में मजबूत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार तकनीकी मोर्चे पर भी भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता दे रही है.
IDN (Internationalized Domain Name) क्या है और यह कैसे काम करता है?
पारंपरिक इंटरनेट डोमेन नाम केवल ASCII (अंग्रेज़ी वर्णमाला) में ही लिखे जा सकते थे. लेकिन अब तकनीक ने इतना विकास कर लिया है कि गैर-अंग्रेजी भाषाओं में भी वेबसाइट डोमेन नाम बनाए जा सकते हैं, जिसे IDN (Internationalized Domain Name) कहा जाता है.
हालांकि तकनीकी रूप से यह डोमेन एक "पुनीकोड" में बदला जाता है जिसे कंप्यूटर समझता है, लेकिन उपयोगकर्ता को ब्राउज़र में हिंदी में स्पष्ट और पठनीय नाम ही दिखाई देता है। इससे भाषा की दीवारें टूटती हैं और डिजिटल इंडिया का सपना अधिक समावेशी बनता है.
हिंदी डोमेन के पीछे केंद्र की मंशा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार लंबे समय से हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को सरकारी कामकाज, शिक्षा, और डिजिटल स्पेस में आगे बढ़ाने की वकालत कर रही है.
इस कदम के पीछे मंशा है
भारत की बहुभाषी जनता को उनकी मातृभाषा में सूचना उपलब्ध कराना
डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत त्रिभाषा त्को प्रोत्साहित करना
केंद्र और आम नागरिकों के बीच संचार को और सहज बनाना
दक्षिण भारत में विरोध के सुर
हालांकि यह पहल तकनीकी और भाषाई समावेशन की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है, परंतु तमिलनाडु जैसे राज्यों में इसका विरोध भी देखा जा रहा है. राज्य सरकारों का तर्क है कि हिंदी को जबरन थोपना संघीय ढांचे और भाषाई विविधता के खिलाफ है.
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि "अगर हिंदी थोपी नहीं जाती, तो तमिलनाडु को विरोध करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी."
Google सर्च में भी हिंदी साइट की प्राथमिकता
दिलचस्प बात यह है कि जब उपयोगकर्ता Google पर "MHA" सर्च करते हैं, तो हिंदी डोमेन वाली साइट सर्च रिजल्ट में पहले दिखाई देती है. इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार न केवल तकनीकी बदलाव कर रही है, बल्कि SEO और यूज़र बिहेवियर को भी ध्यान में रख रही है.
हिंदी बोलने और पढ़ने वालों का आंकड़ा क्या कहता है?
2019 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 43% लोग हिंदी बोल सकते हैं, लेकिन हिंदी पढ़ सकने वाली आबादी अपेक्षाकृत कम है। फिर भी, डिजिटल माध्यमों से हिंदी में जानकारी उपलब्ध कराने से भाषा को और अधिक अपनाने में मदद मिलेगी.
केंद्र सरकार की अन्य वेबसाइटें भी हिंदी डोमेन पर
गृह मंत्रालय अकेला उदाहरण नहीं है। कई अन्य मंत्रालय और विभाग भी अब अपने हिंदी डोमेन पर स्विच कर रहे हैं, जैसे:
सड़क परिवहन मंत्रालय: सड़क.सरकार.भारत
स्वास्थ्य मंत्रालय: स्वास्थ्य.सरकार.भारत
शिक्षा मंत्रालय: शिक्षा.सरकार.भारत
यह साफ संकेत है कि केंद्र सरकार अपनी सभी डिजिटल संपत्तियों को धीरे-धीरे भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की दिशा में बढ़ रही है।हां, बिल्कुल। यह कदम उन करोड़ों लोगों के लिए डिजिटल दुनिया को सहज और सुलभ बनाएगा, जो अब तक भाषा के कारण सरकारी सूचनाओं से दूर थे.
साथ ही, इससे भाषाई समानता और सांस्कृतिक पहचान को भी बल मिलेगा. अब सवाल आपसे: क्या आप ‘गृहकार्य.सरकार.भारत’ जैसे हिंदी URL को उपयोग में लाना पसंद करेंगे?