जेएमआई के तीन पीएचडी स्कॉलर्स को अमेरिका में मिली बड़ी उपलब्धि, पोस्टडॉक्टरल फेलोशिप में शामिल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 12-04-2025
Three PhD scholars of JMI got great achievement in America, included in postdoctoral fellowship
Three PhD scholars of JMI got great achievement in America, included in postdoctoral fellowship

 

 

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

जामिया मिलिया इस्लामिया (JMI) ने एक बार फिर अपने उच्चस्तरीय शोध और अकादमिक उपलब्धियों से देश का नाम रौशन किया है. विश्वविद्यालय के मल्टीडिसिप्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (MCARS) के तीन होनहार पीएचडी शोधार्थियों—डॉ. एमडी इकबाल आज़मी, डॉ. सलीम अनवर और डॉ. खुर्शीद उल इस्लाम—ने हाल ही में अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ में पोस्टडॉक्टरल फेलोशिप में स्थान पाया है.

इन तीनों स्कॉलर्स ने जेएमआई में डॉ. जावेद इकबाल के मार्गदर्शन में अपना शोध कार्य पूरा किया.

CRISPR तकनीक के अग्रदूत बने डॉ. एमडी इकबाल आज़मी

डॉ. एमडी इकबाल आज़मी को उनके पीएचडी शोध के दौरान CRISPR-आधारित COVID-19 डिटेक्शन तकनीक के सफल विकास के लिए ICMR-SRF फेलोशिप और प्रतिष्ठित TNQ इंस्पायरिंग साइंस अवार्ड-2022 से नवाजा गया था. आज़मी अब न्यूयॉर्क स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर में पोस्टडॉक्टरल फेलोशिप कर रहे हैं, जहां वे अपनी रिसर्च को और व्यापक स्तर पर आगे बढ़ा रहे हैं.

एमोरी यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ. सलीम अनवर

डॉ. सलीम अनवर, जिन्हें ICMR-SRF फेलोशिप प्राप्त थी, को जेएमआई के बायोसाइंसेज विभाग द्वारा आयोजित सम्मेलन में "सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति" के लिए भी पुरस्कृत किया गया.

उनकी वैज्ञानिक प्रतिभा को पहचानते हुए उन्हें अमेरिका की प्रतिष्ठित एमोरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन, अटलांटा, जॉर्जिया में पोस्टडॉक्टरल फेलोशिप प्रदान की गई है.

डॉ. खुर्शीद उल इस्लाम भी पहुंचे यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर

उसी शोध प्रयोगशाला से जुड़े तीसरे शोधार्थी डॉ. खुर्शीद उल इस्लाम को भी यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर, न्यूयॉर्क में पोस्टडॉक्टरल फेलोशिप के लिए आमंत्रित किया गया है. तीनों विद्वानों को पीएचडी थीसिस के डिफेंस के तुरंत बाद यह उपलब्धि मिली, जो दर्शाता है कि उनके शोध कार्य की वैश्विक स्तर पर कितनी उच्च प्रतिष्ठा है.

मार्गदर्शक डॉ. जावेद इकबाल की भूमिका अहम

इस शानदार सफलता का श्रेय डॉ. जावेद इकबाल को भी जाता है, जिन्होंने अपने सटीक मार्गदर्शन और अनुशासनात्मक शोध दृष्टिकोण से छात्रों को न केवल अनुसंधान में दक्ष बनाया, बल्कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों के लिए तैयार किया. डॉ. इकबाल वर्ष 2017 में MCARS से जुड़े और तब से लगातार शोध के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं.

अन्य विद्यार्थियों को भी मिली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय छात्रवृत्तियाँ

डॉ. इकबाल के अधीन कार्य कर रहीं सुश्री फातिमा रिज़वी (M.Sc. वायरोलॉजी) को प्रतिष्ठित रिलायंस फाउंडेशन स्नातकोत्तर छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है, जबकि सुश्री अदीला खानम को प्रिंसटन फाउंडेशन छात्रवृत्ति (यूएसए) से सम्मानित किया गया. उनके कई अन्य मास्टर छात्र भी देश-विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों में रिसर्च कार्य कर रहे हैं.

2.36 करोड़ रुपये की शोध निधि से मिल रही है गति

डॉ. इकबाल का शोध कार्य वर्तमान में DBT, SERB और DST जैसे शीर्ष संस्थानों की ओर से कुल 2.36 करोड़ रुपये की फंडिंग से संचालित हो रहा है. इस फंडिंग के माध्यम से उनकी प्रयोगशाला ने COVID-19 डिटेक्शन किट और HCV व HBV के लिए दोहरी CRISPR डायग्नोस्टिक तकनीक जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण शोध उपलब्धियाँ हासिल की हैं.

यह शोध कार्य डॉ. तनवीर अहमद, डॉ. मोहन जोशी (JMI) और अन्य राष्ट्रीय संस्थानों के वैज्ञानिकों के सहयोग से संभव हो पाया है. डॉ. इकबाल ने रामलिंगस्वामी फेलोशिप के लिए DBT के प्रति आभार व्यक्त किया है, साथ ही उन्होंने JMI प्रशासन और विशेष रूप से प्रो. मोहम्मद हुसैन (निदेशक, MCARS), प्रो. जाहिद अशरफ (डीन) और कुलपति प्रो. मजहर आसिफ के निरंतर सहयोग के लिए भी हार्दिक धन्यवाद प्रकट किया है.


जेएमआई की MCARS प्रयोगशाला से निकले ये तीन पोस्टडॉक्टोरल स्कॉलर्स न केवल विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय हैं, बल्कि भारत के वैज्ञानिक योगदान को वैश्विक मंच पर सशक्त रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं.

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