आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
यह कहानी है एक ऐसे घर की, जहाँ सीमित संसाधनों और धार्मिक परिवेश में एक लड़की ने न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे समुदाय का नाम रोशन किया. यह कहानी है अबीर असद की, जिन्होंने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा में पहली बार में ही सफलता हासिल की, वह भी बिना किसी कोचिंग के.
उनकी इस सफलता में उनके आत्मविश्वास, मेहनत, लगन, और शिक्षा के प्रति समर्पण की गहरी मिसाल देखने को मिलती है.अबीर असद ने अपनी स्कूली शिक्षा से लेकर स्नातक तक उत्कृष्टता हासिल की. 10वीं में 92.8%, 12वीं में 97.5%, और स्नातक में डिस्टिंक्शन के साथ दिल्ली के हंसराज कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की.
अपने पहले प्रयास में ही अबीर ने UPSC परीक्षा में सफलता प्राप्त की और वर्तमान में उन्हें 35वां स्थान प्राप्त हुआ है. अपनी पहली पसंद में अबीर ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का चयन किया, उसके बाद भारतीय राजस्व सेवा (IRS) और भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा को चुना है। हालाँकि, अभी तक उन्हें किस सेवा में नियुक्ति मिलेगी यह स्पष्ट नहीं हुआ है.
कोचिंग सेंटर नहीं, बल्कि घर से की तैयारी
अबीर असद ने UPSC की कठिन तैयारी बिना किसी कोचिंग सेंटर के की. अपनी पढ़ाई को लेकर उनका जुनून और समर्पण ही उनकी सफलता का कारण बना. वह सामान्य दिनों में 8 से 9 घंटे पढ़ाई करती थीं, जबकि परीक्षा के दिनों में यह समय और भी बढ़ जाता था.
उनकी इस सफलता में उनके माता-पिता का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है. अबीर का मानना है कि अगर लड़कियों को पढ़ाई करने की पूरी आजादी और प्रोत्साहन मिले, तो वे भी हर क्षेत्र में ऊंचाइयों तक पहुँच सकती हैं.
उन्होंने मुस्लिम युवाओं से भी यह अपील की कि वे अपना कीमती समय बर्बाद करने के बजाय पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करें, ताकि वे समाज और राष्ट्र के विकास में अपनी भागीदारी निभा सकें.अबीर के पिता, मौलाना मुहम्मद असद अल-कासिमी, ने कहा कि उन्होंने हमेशा अपनी बेटी को पढ़ाई और जीवन में अपनी पसंद का रास्ता चुनने की आजादी दी.
उन्होंने मुस्लिम समाज से अपील की कि वे अपने बच्चों को शिक्षा की आजादी दें, क्योंकि शिक्षा किसी भी राष्ट्र का भाग्य बदलने की क्षमता रखती है.अबीर असद की यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने लक्ष्य तक पहुँचने की इच्छाशक्ति रखते हैं.