बिहार के छोटे से गांव से क्रिकेट की ऊंचाइयों तक
वैभव सूर्यवंशी का जन्म 27 मार्च 2011 को बिहार के ताजपुर गांव में हुआ था. एक छोटे से गांव के साधारण परिवार में जन्मे वैभव के लिए क्रिकेट की दुनिया में अपनी पहचान बनाना कोई आसान काम नहीं था. उनके पिता संजीव सूर्यवंशी, जो पेशे से एक किसान थे, ने अपने बेटे के क्रिकेट के प्रति जुनून को देखा और उसे बढ़ावा देने के लिए घर के पिछवाड़े में क्रिकेट खेलने के लिए एक छोटा सा मैदान बना दिया.
वैभव की क्रिकेट यात्रा की शुरुआत चार साल की उम्र में हुई, जब उन्होंने पहली बार बैट और बॉल को हाथ में लिया. उनके पिता ने न केवल अपने बेटे की क्रिकेट के प्रति दिलचस्पी को समझा, बल्कि इसके लिए अपना खेत भी बेच दिया ताकि वैभव को क्रिकेट की अच्छी कोचिंग मिल सके.
वैभव की मेहनत ने उन्हें रणजी और आईपीएल तक पहुंचाया
अपने पिता की मेहनत और समर्थन के साथ, वैभव ने अपनी क्रिकेट यात्रा को गति दी. जब वह नौ साल के थे, तो उन्हें समस्तीपुर शहर में एक क्रिकेट अकादमी में दाखिला दिलाया गया. यहां उन्होंने कड़ी मेहनत की और जल्दी ही अपनी प्रतिभा से सबको प्रभावित किया.
वैभव ने अपनी क्रिकेट यात्रा में कई अहम मोड़ देखे। 12 साल की उम्र में उन्होंने बिहार की वीनू मांकड़ ट्रॉफी में भाग लिया, जहां उन्होंने सिर्फ पांच मैचों में लगभग 400 रन बनाए. यह प्रदर्शन उनका आत्मविश्वास बढ़ाने वाला साबित हुआ.
नवंबर 2023 में, वैभव को अंडर-19 चतुष्कोणीय श्रृंखला के लिए इंडिया बी अंडर-19 टीम में चुना गया, जिसमें भारत ए, बांग्लादेश और इंग्लैंड अंडर-19 टीमें भी शामिल थीं. यद्यपि उन्होंने इंग्लैंड और बांग्लादेश के खिलाफ उतने रन नहीं बनाए, लेकिन उनके खेल ने उन्हें आगे बढ़ने की दिशा दी.
जनवरी 2024 में, वैभव ने रणजी ट्रॉफी में पदार्पण किया और महज 12 साल 284 दिन की उम्र में भारत के सबसे कम उम्र के प्रथम श्रेणी खिलाड़ी बने. इस घटना ने उन्हें क्रिकेट की दुनिया में एक नई पहचान दिलाई.
आईपीएल 2025: वैभव का सपना सच हुआ
आईपीएल 2025 की मेगा नीलामी में वैभव सूर्यवंशी ने तहलका मचाया. राजस्थान रॉयल्स ने इस युवा खिलाड़ी को 1.1 करोड़ रुपये में खरीदा, और इससे पहले वह नागपुर में एक ट्रायल मैच खेल चुके थे, जिसमें उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया. वैभव की शानदार बल्लेबाजी को देख कर राजस्थान रॉयल्स और दिल्ली कैपिटल्स के बीच बोली की होड़ मच गई थी.
वैभव सूर्यवंशी का बल्लेबाजी कौशल
वैभव की बल्लेबाजी की शैली और तकनीक दोनों ही शानदार हैं. उनके कोच विक्रम राठौर ने उन्हें ऐसे अभ्यास में झोंका, जिसमें उन्हें मुश्किल परिस्थितियों में रन बनाने का अभ्यास कराया. एक बार एक ट्रायल मैच के दौरान, वैभव को एक ओवर में 17 रन बनाने थे और उन्होंने उसमें तीन छक्के लगाकर साबित कर दिया कि वह किसी भी दबाव में खुद को साबित करने में सक्षम हैं.
वैभव की कड़ी मेहनत और खेल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें भारत के सबसे होनहार क्रिकेट खिलाड़ियों में से एक बना दिया है. उनके बारे में उनके पिता संजीव सूर्यवंशी कहते हैं, "विक्रम सर ने वैभव के खेल को इस तरह से आकार दिया कि वह हर स्थिति में खुद को साबित कर सके."
भारत के सबसे युवा टेस्ट शतकधारी और लिस्ट ए खिलाड़ी
वैभव ने अपनी उम्र के हिसाब से कई रिकॉर्ड्स भी तोड़े. 13 साल की उम्र में ही उन्होंने यूथ टेस्ट मैच में सबसे तेज शतक बनाकर क्रिकेट इतिहास में अपनी छाप छोड़ी. उनके 58 गेंदों में बने शतक ने उन्हें भारतीय क्रिकेट में सबसे तेज शतक बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में रिकॉर्ड बुक में जगह दिलाई.
इसके बाद, उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी में भी अपना जलवा दिखाया और लिस्ट-ए क्रिकेट में अर्धशतक बनाने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय खिलाड़ी बन गए. 13 साल की उम्र और 269 दिन में उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की, जो एक और रिकॉर्ड था.
वैभव सूर्यवंशी: एक प्रेरणा
वैभव सूर्यवंशी की कहानी यह साबित करती है कि मेहनत, समर्पण और सही मार्गदर्शन से कोई भी सपना सच हो सकता है. बिहार के एक छोटे से गांव से आईपीएल तक का उनका सफर हर युवा खिलाड़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है. वैभव की सफलता यह दिखाती है कि जब जुनून और परिश्रम एक साथ होते हैं, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
उनकी आगामी यात्रा पर सभी की नजरें हैं और क्रिकेट प्रेमी उम्मीद कर रहे हैं कि यह युवा सितारा जल्द ही भारत के क्रिकेट की दुनिया में अपना नाम और प्रसिद्धि हासिल करेगा.
वैभव सूर्यवंशी की सफलता की कहानी न केवल उनके आत्मविश्वास और मेहनत का परिणाम है, बल्कि यह हर उस युवा क्रिकेट खिलाड़ी के लिए एक प्रेरणा भी है जो बड़े सपने देखता है. अब जब वह आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की टीम का हिस्सा हैं, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि क्रिकेट की दुनिया में उनके पास बहुत कुछ हासिल करने का मौका है.