आवाज द वाॅयस/अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के हिंदी विभाग की कमान अब प्रोफेसर तस्नीम सुहैल के हाथों में होगी. उन्हें 21 अप्रैल 2025 से विभागाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वह इस पद पर अपनी सेवा 5 दिसंबर 2025 को सेवानिवृत्ति तक देंगी. प्रोफेसर सुहैल विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की पहली महिला अध्यक्ष बनने का गौरव भी प्राप्त कर चुकी हैं.
प्रोफेसर तस्नीम सुहैल एक अनुभवी शिक्षिका, शोधकर्ता और अनुवादक हैं. उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से एम.फिल. और आगरा विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की. उनके शोध का विषय था — “पूर्व-प्रेमचंद युगीन हिंदी-उर्दू के उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन (1880-1920)”, जो हिंदी और उर्दू साहित्य के अंतर्संबंधों को समझने में एक महत्वपूर्ण कड़ी है.
1988 से एएमयू से जुड़ी प्रो. सुहैल ने अपने शिक्षण की शुरुआत महिला महाविद्यालय से की थी और 1997 में हिंदी विभाग में व्याख्याता के रूप में नियुक्त हुईं. तब से अब तक उन्होंने विभाग के विकास में अहम भूमिका निभाई है.
लेखन और अनुवाद में समृद्ध योगदान
प्रोफेसर सुहैल एक विपुल लेखिका और अनुवादक हैं. उन्होंने प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. शान मोहम्मद की पुस्तक "सर सैयद: इतिहास और राजनीति के दर्पण में" का हिंदी अनुवाद किया है. इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तानी लेखिका जाहिदा हिना की कहानियों का हिंदी में अनुवाद कर दोनों देशों के साहित्यिक पुल को और मजबूत किया है.
उनके लेखन में नारीवादी विमर्श, विभाजन साहित्य और तुलनात्मक हिंदी-उर्दू साहित्यिक अध्ययन जैसे विषयों पर गहरी पकड़ देखने को मिलती है. उन्होंने अब तक 40 से अधिक शोध पत्र, लेख और कहानियाँ विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित की हैं.
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय सहभागिता
प्रो. सुहैल ने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों और कार्यशालाओं में भाग लिया है, जहाँ उन्होंने साहित्य, समाज और संस्कृति से जुड़े विविध विषयों पर अपने विचार रखे. उन्होंने अकादमिक मंचों पर एएमयू की गरिमा को बढ़ाने का कार्य लगातार किया है.
एक प्रेरणादायी अध्याय की शुरुआत
हिंदी विभाग की अध्यक्ष के रूप में प्रो. तस्नीम सुहैल की नियुक्ति न केवल विभाग के लिए बल्कि समूचे विश्वविद्यालय समुदाय के लिए प्रेरणादायक है. उनके अनुभव, विद्वता और नेतृत्व से आने वाले समय में विभाग को नई ऊँचाइयाँ छूने की उम्मीद है.यह नियुक्ति महिला सशक्तिकरण की दिशा में एएमयू के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण संकेत भी मानी जा रही है.