अफगानिस्तान, इराक के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाली सुरक्षा तकनीक से बना नक्सलवादियों के गढ़ में पुलिस स्टेशन

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 03-01-2025
Police station in Naxal stronghold built with security technology used in war-torn areas of Afghanistan, Iraq
Police station in Naxal stronghold built with security technology used in war-torn areas of Afghanistan, Iraq

 

मृणालिनी नानिवडेकर

महाराष्ट्र की सीमा से लगे छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में इंद्रावती नेशनल पार्क क्षेत्र में नक्सलवादियों के छिपे होने की चर्चा होती है. उनके  गढ़ ध्वस्त होने के बाद नक्सलवाद मुक्त करने का लक्ष्य पूरा होगा. ऐसा सुरक्षा बलों को लगता है. इसी बीच, इस क्षेत्र से महज तीन किलोमीटर दूर घने जंगल में महाराष्ट्र पुलिस ने पुलिस स्टेशन स्थापित करने में सफलता हासिल की है.

करीब डेढ़ महीने से, न सिर्फ दिन के उजाले में बल्कि रात के घने अंधेरे में भी जंगल की पगडंडियों पर 100 से 125 किलोमीटर की दूरी तय कर 250 से 350 पुलिसकर्मियों ने साढ़े पांच एकड़ जमीन पर सिर्फ 24 घंटों में एक मिसाइल रोधी पुलिस स्टेशन स्थापित किया है. यह पेंगुंडा नामक पुलिस स्टेशन छत्तीसगढ़ से लगे होने के कारण सुरक्षा के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है. 

इससे नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी. तीन राज्यों के नक्सल प्रभावित इलाकों पर निगरानी रखी जा सकेगी. 'जनतानु सरकार' के नक्सलवादी प्रचार का जवाब देते हुए, यह पुलिस स्टेशन कानून पर आधारित जनता सरकार और आदिवासियों के विकास की गारंटी देने वाला एक सहायता केंद्र बनेगा.

यह पुलिस स्टेशन अफगानिस्तान और इराक के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाली सुरक्षा सामग्री से बनाया गया है. इस क्षेत्र में सड़कें न होने के बावजूद पुलिस बल का यह योजना है कि वे और पुलिस स्टेशन बनाएंगे. पेंगुंडा पुलिस स्टेशन में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक कंपनी और राज्य की प्रशिक्षित पुलिस दलों को तैनात किया गया है.

आसपास निर्माणाधीन सड़क परियोजनाओं में कोई रुकावट न आए, इसके लिए 'सी 60' टुकड़ी के लगभग 40 से 50 जवान जंगल में रात-दिन गश्त कर रहे हैं.  पुलिस स्टेशन से नजदीक बनने वाले महत्वपूर्ण राज्य राजमार्ग पर भी निगरानी रखी जाएगी.

इस सड़क के बनने के बाद, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा के नक्सली गतिविधियों पर नियंत्रण रखा जा सकेगा. इसके अलावा,  क्षेत्र में सड़क निर्माण से विकास की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी.इस क्षेत्र में पुलिस स्टेशन को पुलिस सहायता केंद्र कहा जाता है.

  पुलिस स्टेशन में नागरिकों को आधार कार्ड बनाने, कृषि की आधुनिक तकनीक सिखाने जैसी सेवाएं दी जा रही हैं.. गढ़चिरोली के वन क्षेत्र के आठ लाख नागरिकों को अब तक पुलिस ने आधार कार्ड जारी किए हैं.

पेंगुंडा के जंगल में स्थापित इस पुलिस स्टेशन का दौरा करने के बाद, परायनार गांव के 80 घरों के निवासी वहां आए थे ,ताकि उन्हें यह जानकारी मिल सके कि वे वन भूमि अधिकार कानून के तहत किस तरह से वन पट्टे प्राप्त कर सकते हैं.

पुलिस स्टेशन के प्रमुख गणेशकुमार फुलकवार ने उन्हें बताया कि वह भी आदिवासी हैं. गोंडी भाषा में उन्हें वन भूमि अधिकार कानून समझाने लगे. गडचिरोली के जिला पुलिस अधीक्षक एम. रमेश ने कहा कि नागरिकों का विश्वास जीतना सबसे महत्वपूर्ण काम है.

उन्होंने कहा, "हम आदिवासियों में शासन व्यवस्था के प्रति विश्वास स्थापित करने का काम कर रहे हैं. नक्सलवादियों के खात्मे के साथ यह भी महत्वपूर्ण कार्य है. सरकारी तंत्र में विश्वास होने से गढ़चिरोली में नक्सलियों में भर्ती होने की प्रक्रिया भी कम हुई है."

पुलिस की प्रभावी कार्यवाही

जंगल में स्थापित किए गए इस नए पुलिस स्टेशन सहित मने राजाराम, पिपली बुर्गी, वांगतुरी और गर्देवाडा जैसे पांचों स्थानों तक अब पंहुचने के लिए पैदल या हवाई मार्ग का इस्तेमाल करना पड़ता है. अब पुलिस की निगरानी में स्थानीय विश्वास प्राप्त कर यहां सड़कों का निर्माण किया जाएगा.

पेंगुंडा में पुलिस स्टेशन बनाना आसान काम नहीं था. नक्सलियों के आईईडी ब्लास्ट या हमलों से बचते हुए सिर्फ 24 घंटे में पुलिस स्टेशन का निर्माण करना एक चुनौती थी. इस बारे में जानकारी देते हुए जिला पुलिस अधीक्षक नीलोत्पल ने कहा, "यहां के स्थानीय लोग पुलिस बल में भर्ती होते हैं.

वे क्षेत्र से परिचित होते हैं. अहेरी से 100 किलोमीटर दूर सामान लेकर आने वाले जवान हमारी असली ताकत हैं. क्योंकि वे आदिवासी समुदाय से आते हैं. वे स्थानीय भाषा में संवाद कर सकते हैं." यह भी नीलोत्पल ने बताया,पिछले चार वर्षों में कोई भी युवक नक्सली दल में भर्ती नहीं हुआ है.

साढ़े चार वर्षों में एक भी पुलिसकर्मी मुठभेड़ में मारा नहीं गया. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक भारत को नक्सलवाद से मुक्त करने की घोषणा की है. भारत को नक्सलवादी हिंसा से मुक्त करने की दिशा में पेंगुंडा को एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है.