मिलिए कश्मीर की ‘हनी क्वीन’ सानिया जेहरा से

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 21-11-2024
Meet Kashmir’s ‘Honey Queen’ Sania Zehra
Meet Kashmir’s ‘Honey Queen’ Sania Zehra

 

बासित जरगर / श्रीनगर

अब यह सच नहीं रहा कि कश्मीर में महिलाएं काम नहीं कर सकतीं या व्यवसाय नहीं चला सकतीं. जैसे-जैसे हालात बदल रहे हैं, लोगों की मानसिकता भी बदल रही हैं. आजकल, उद्यमिता को लेकर पुरुषों और महिलाओं दोनों के बीच कोई खास अंतर नहीं रह यगा है. वे कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं और समान रूप से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं. बाधाओं को तोड़ते हुए और व्यवसाय में अपना रास्ता बनाते हुए, कश्मीरी महिलाएं जीवंत रंगों में चमक रही हैं. एक और प्रेरक उदाहरण बलहामा की 20 वर्षीय निवासी सानिया जेहरा हैं, जो मधुमक्खी पालन में चैंपियन हैं.

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सानिया जेहरा न केवल अपने परिवार के लंबे समय से चल रहे व्यवसाय की रीढ़ हैं, बल्कि अपने पूरे समुदाय के लिए एक शानदार उदाहरण भी हैं. सानिया ने कहा कि मधुमक्खी पालन उनके दादा का व्यवसाय रहा है, जिसे उनके पिता ने संभाला और अब वह तीसरी पीढ़ी के रूप में इस काम में हैं.

उन्होंने कहा, “शुरुआत में, मैं अपने पिता की मदद करती थी, लेकिन मुझे अक्सर ऊब महसूस होती थी और मैं बस समय बिताने की कोशिश करती थी. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इसमें रुचि होगी, लेकिन आज मैं इतनी जुनूनी हूँ कि मैं मधुमक्खी पालन से लेकर इसकी मार्केटिंग तक सब कुछ खुद ही संभालती हूँ.”

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उन्होंने बताया कि व्यवसाय से होने वाले मुनाफे ने उन्हें आगे बढ़ने में सक्षम बनाया है और वह आयात-निर्यात गतिविधियों में भी शामिल हैं. सानिया ने बताया कि उन्होंने मधुमक्खी पालन को क्यों चुना, जबकि कई अन्य व्यवसाय हैं,

“कुरान में मधुमक्खी पालन का उल्लेख है. इसमें अल्लाह की बड़ी कृपा है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं एक लड़की हूँ. जो मायने रखता है, वह है, काम करने की क्षमता. व्यक्तिगत रूप से, मेरा मानना है कि मधुमक्खी पालन एक सम्मानजनक पेशा है और इसमें उपचारात्मक गुण भी हैं.”

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उन्होंने स्वीकार किया कि कोई भी यात्रा आसान नहीं है, खासकर कश्मीर में और महिलाओं के लिए. उन्होंने कहा, “शुरुआत में मुझे बहुत ट्रोल किया गया, यहां तक कि करीबी रिश्तेदारों से भी, लेकिन अल्लाहु अकबर, मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी. मैंने हमेशा अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने की पूरी कोशिश की और आज मैं वास्तव में संतुष्ट हूँ.”

सानिया ने बताया कि न केवल वह अच्छी आय अर्जित करती हैं, बल्कि उनके मधुमक्खी पालन व्यवसाय ने उन्हें अन्य उपक्रमों में विस्तार करने का भी मौका दिया है. वे कहती हैं, “मैं मधुमक्खी पालन से सौंदर्य उत्पाद, मोम और यहाँ तक कि हरे पराग भी बनाती हूँ.”

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उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार इस व्यवसाय के लिए सहायता प्रदान कर रही है और कोई भी इच्छुक व्यक्ति इन योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए संबंधित विभाग से संपर्क कर सकता है. अपने संदेश में उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी काम छोटा नहीं होता. समर्पण और ईमानदारी से काम करना चाहिए, अल्लाह छोटी से छोटी कोशिश को भी आशीर्वाद देगा.’’

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कश्मीर में महिलाओं का व्यवसाय में रुझान बढ़ रहा है. सदियों से, महिलाएं एक रूढ़िवादिता से जूझ रही हैं, जिसमें खाना बनाना, साफ-सफाई करना और परिवार की देखभाल करना शामिल है. हालांकि, युवा महिला उद्यमियों की एक नई पीढ़ी सभी चुनौतियों पर काबू पा रही है.

आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत पिछले तीन वर्षों में महिलाओं द्वारा 14,943 परियोजनाएं स्थापित की गई हैं. इस पहल ने कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.