महाकुंभ मेला: फरहान आलम ने बचाई रामशंकर की जान , कहा-यह मेरा कर्तव्य था

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 30-01-2025
Maha Kumbh Mela: Farhan Alam saved Ram Shankar's life, said- it was my duty
Maha Kumbh Mela: Farhan Alam saved Ram Shankar's life, said- it was my duty

 

मंसूरूद्दीन फरीदी/प्रयागराज/नई दिल्ली

"अगर मैंने किसी की जान बचाई तो यह मेरा कर्तव्य था. यह मानव सेवा है. जब आप किसी की मदद करते हैं तो आप कभी नहीं देखते कि वो किस धर्म या संप्रदाय से ताल्लुक रखता है. इतना ही नहीं, धर्म ने ये भी सिखाया है कि दुनिया में सबसे कीमती चीज इंसान की जान है.अगर मैंने रामशंकर की जान बचाई या उन्हें समय पर चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई तो यह मेरा फर्ज था."

ये शब्द प्रयागराज के युवा वकील और समाजसेवी फरहान आलम के हैं, जिन्होंने प्रयागराज में  महाकुंभ के दौरान दिल का दौरा पड़ने पर एक भक्त रामशंकर को  समय पर सीपीआर देकर  नया जीवन दिया. पिछले हफ़्ते की इस घटना का खुलासा तब हुआ जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें फरहान आलम एक व्यक्ति के सीने पर दिल के पास दोनों हाथों से दबाव बनाते नजर आ रहे थे.

इस प्रक्रिया के जरिए यह उसकी दिल की धड़कन बहाल करने की कोशिश थी. वीडियो में उस व्यक्ति की पत्नी और बच्चे को रोते हुए देखा जा सकता है. बाद में पता चला कि फरहान आलम ही वह व्यक्ति है जिसने महाकुंभ में आए श्रद्धालु रामशंकर की जान बचाई.


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आवाज़ द वॉयस से बात करते हुए फरहान आलम कहते हैं कि मेरे लिए ये कोई असामान्य बात नहीं है. ये मेरी जिम्मेदारी का हिस्सा है जिसे मैंने बखूबी निभाया. सबसे बड़ी बात ये है कि मैंने सीपीआर के ज़रिए कोशिश की. अल्लाह ने इसे कामयाब बनाया. 

इस घटना के बारे में फरहान आलम कहते हैं  कि मैं रेलवे स्टेशन पर तैनात था. मेरे एक साथी मुहम्मद अरशद ने वॉकी-टॉकी पर एक श्रद्धालु की हालत बताई तो मैं चंद मिनट में  वहां पहुंच गया.  उस समय वह पूरी तरह से बेहोश था. उसकी सांसें रुक गई थीं.  मैंने सीपीआर प्रक्रिया शुरू की. कुछ पलों की कड़ी मेहनत के बाद, उसे  नई जिंदगी मिल गई.

आरपीएफ जवानों को सीपीआर का प्रशिक्षण

आपको बता दें कि फरहान आलम प्रयागराज में एनजीओ हक की ओर से बच्चों के अधिकारों के लिए यूनिसेफ के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. वह एक सामाजिक संगठन प्राइम रोज शिक्षा संस्थान के संस्थापक हैं, जिसकी स्थापना उन्होंने ही की थी. 

संगठन ने महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए रेलवे सुरक्षा बल के कर्मियों को प्रशिक्षित किया था, जिसमें कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन भी शामिल हैं. लेकिन यह चुनौती खुद फरहान आलम के सामने आई.

वे कहते हैं कि यह एक चुनौती थी. हिम्मत के साथ प्रयास करो, बाकी सब अल्लाह की मर्जी. फरहान आलम ने आवाज़ द वॉयस को बताया कि महाकुंभ मेले से पहले आरपीएफ इंस्पेक्टर शिव कुमार सिंह के नेतृत्व में जवानों के लिए एक ट्रेनिंग कैंप का आयोजन किया गया था. जवानों को बताया कि सीपीआर कैसे किया जाता है . इसे करने का सही तरीका क्या है? 


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आरपीएफ जवानों को सीपीआर का प्रशिक्षण

 भाईचारे का महाकुंभ 

फरहान आलम का कहना है कि महाकुंभ मेला हिंदुओं की आस्था का केंद्र है, लेकिन हम सभी इसका सम्मान करते हैं . प्रयागराज के निवासी कुंभ मेले में हर तरह की जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हैं . श्रद्धालु हमारे मेहमान हैं.

यह हमारी जिम्मेदारी और कर्तव्य है. कुंभ मेले से लौटने तक उनकी सुरक्षा की जाएगी. मेरा मानना ​​है कि यह भाईचारे और सांप्रदायिक सौहार्द का महाकुंभ है. यहां ऐसे मुसलमान भी हैं जो करोड़ों श्रद्धालुओं की सेवा के लिए स्वयंसेवक हैं, जो बड़ी शान से दिन-रात काम कर रहे हैं. कदम से कदम मिलाकर श्रद्धालुओं की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं.

फरहान आलम ने आवाज़ द वॉयस से कहा कि महाकुंभ मेला देश की गंगा-जमनी सभ्यता का प्रतीक है. इस समय हिंदू-मुस्लिम में कोई फर्क नहीं. धर्म के आधार पर हमें सेवा करने से किसी ने नहीं रोका और न ही आपत्ति जताई.

दरअसल, हम शहर के लोग इसे अपनी सामाजिक और मानवीय जिम्मेदारी मानते हैं. हमारा लक्ष्य श्रद्धालुओं की हर मुश्किल को दूर करना है. हम इसी भावना से काम करते हैं. स्वयंसेवकों का कोई धर्म नहीं होता. बस मानवीय सेवा होनी चाहिए.

फरहान आलम ने रामशंकर के ठीक होने के बाद प्रयागराज के अस्पताल में उनसे मुलाकात की. उनके चेहरे पर नई जिंदगी की खुशी देखकर उन्हें धन्यवाद देने वालों का तांता लगा रहा. फरहान आलम ने कहा कि उन्होंने अपना फर्ज निभाया. 

दिलचस्प बात यह है कि पिछले कुंभ मेले में फरहान आलम ने ऐसी ही स्थिति में एक श्रद्धालु की जान बचाई थी. जिसका वीडियो उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया है.यह घटना महाकुंभ मेले में उस समय सामने आई जब देश का सोशल मीडिया आईटी बाबा और ममता कुलकर्णी के बॉलीवुड से संन्यासिन बनने के सफर की खबरों से भरा पड़ा है.

शायद यही वजह है कि इस बुखार में फरहान आलम की घटना कहीं नजर नहीं आ रही है. फरहान आलम ने आवाज़ द वॉयस को बताया कि इस घटना ने श्रद्धालुओं और वहां के प्रशासन को एहसास दिलाया कि प्रशिक्षण और तैयारी कितनी महत्वपूर्ण है.

कई लोग फरहान आलम को इस कार्य के लिए धन्यवाद दे रहे हैं और उनके जज्बे की तारीफ कर रहे हैं. स्थानीय लोगों के साथ-साथ महोत्सव में आए श्रद्धालुओं ने फरहान आलम के प्रयासों की सराहना की और उन्हें सच्चा नायक माना.