आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
हम 2025 में कुछ ही दिनों में ही प्रवेश करने वाले हैं. ऐसे में भारत ने कई तरक्कीयां और सफलताएं हमे देखने को मिली जिसमें चेन्नई के रहने वाले डी गुकेश ने विश्व शतरंज चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया, बिहार के इमाम मोहम्मद अहमद बुखारी की बेटी हबीबा बुखारी ने बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की और अब वह जज की कुर्सी पर बैठने जा रही हैं. वहीँ बिहार की एक होनहार बेटी युसरा फातिमा ने अपनी अद्वितीय प्रतिभा और लेखन कौशल से ‘बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में अपना नाम दर्ज करा लिया है. आईये जानते हैं ये कहानियां विस्तार से
हबीबा बुखारी: एक नई प्रेरणा
मुंगेर शहर के तोपखाना बाजार के निवासी क़ारी मोहम्मद अहमद बुखारी की बेटी, हबीबा बुखारी, ने हाल ही में बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की और अब वह जज की कुर्सी पर बैठने जा रही हैं.हबीबा बुखारी की सफलता ने पूरे परिवार और मुंगेर शहर को गौरवांवित किया है.उनके जज बनने की खबर ने पूरे इलाके में खुशी की लहर दौड़ा दी है, और उनके घर पर बधाई देने वालों का ताता लगा हुआ है.
हबीबा बुखारी के पिता क़ारी मोहम्मद अहमद बुखारी मुंगेर स्थित गुलजार पोखर मस्जिद के इमाम हैं, जहां वह पिछले कई सालों से इमामत की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.हबीबा की सफलता ने साबित कर दिया कि मुस्लिम समाज अब उच्च शिक्षा के प्रति जागरूक हो चुका है, और यही कारण है कि आज से एक दशक पहले जिस बात को सोचना भी मुश्किल था, वह आज हकीकत बन गई है — एक इमाम की बेटी जज बन सकती है.
हबीबा की यह सफलता उन तमाम बेटियों के लिए प्रेरणा है जो समाज के संकीर्ण विचारों और पारंपरिक बंधनों को तोड़ते हुए अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष करती हैं.हबीबा की सफलता ने यह भी सिद्ध कर दिया कि समाज में बदलाव की शुरुआत घर से ही होती है, जहां से हर बच्चे के सपने को पंख मिलते हैं. पढ़ें पूरी खबर-
बिहार: मस्जिद के इमाम की बेटी बनी जज, एक प्रेरणादायक कहानी
विश्व के नए शतरंज चैंपियन: गुकेश डोमराजू
18 की उम्र में जब बच्चे स्कूल पास कर रहे होते हैं, जब ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं होता कि आगे करना क्या है? उनका पैशन क्या है? उस छोटी उम्र में भारत के डोम्माराजु गुकेश ने इतिहास रच दिया है. वो शतरंज की दुनिया यंगेस्ट चैंपियन बन गए हैं. गुकेश पहले शख्स हैं जिसने इतनी कम उम्र में वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप जीत ली और चेस ग्रैंडमास्टर बन गए.
विश्वनाथन आनंद के बाद भारत को ये खिताब दिलाकर शतरंग के खिलाड़ी ने ऐसा कारनामा किया है कि हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. लेकिन... डी गुकेश हैं कौन? इनकी पढ़ाई लिखाई क्या रही है? हर भारतीय को इस बारे में भी जरूर जानना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डी गुकेश को सबसे कम उम्र का विश्व शतरंज चैंपियन बनने पर पर बधाई दी. उन्होंने उनकी उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया. पढ़ें पूरी खबर-
डी गुकेश : सबसे कम उम्र के बनने विश्व शतरंज चैंपियन
15 साल की युसरा फातिमा ने बनाया विश्व रिकॉर्ड
बिहार के सिवान जिले की एक होनहार बेटी युसरा फातिमा ने अपनी अद्वितीय प्रतिभा और लेखन कौशल से ‘बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में अपना नाम दर्ज करा लिया है. यह सम्मान उनकी उस अद्वितीय उपलब्धि के लिए दिया गया है, जिसमें उन्होंने कम उम्र में सबसे अधिक कविताएं और किताबें लिखने का रिकॉर्ड कायम किया है. बड़हरिया प्रखंड के तेतहली गांव की रहने वाली युसरा ने यह कारनामा महज 15 साल की उम्र में कर दिखाया है, जो आज एक प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं.
मुस्लिम समाज में दहेज-मुक्त शादियों की सच्ची मसीहा
मुस्लिम समाज में शादी में देरी या अधिक उम्र होने के कारण लड़के-लड़कियों की शादी की चुनौतियाँ बढ़ रही हैं.अक्सर देखा जाता है कि समय पर विवाह न होने पर लड़कियाँ अधिक उम्र के लड़कों से शादी करने को मजबूर होती हैं, जिससे रिश्तों में तनाव पैदा होता है.कई मामलों में, दहेज की माँग भी एक बड़ी समस्या बन जाती है. इसी बीच, दिल्ली के ओखला इलाके की एक खास शख्सियत, सैयद मेहर अफशां, जिन्हें प्यार से 'बाजी' कहा जाता है.
डॉ. मुस्तफा बरभुइया बने पैथोलॉजी के ग्लोबल नायक
दक्षिणी असम के हैलाकांडी जिले के एक सुदूर और अविकसित गांव से आने वाले डॉ. मुस्तफा ए. बरभुइया को पैथोलॉजी के क्षेत्र में शीर्ष 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में चुना गया है.
खास तौर पर, इस साल अमेरिका में पैथोलॉजी के शीर्ष 20 नायकों में से एक के रूप में. ‘पैथोलॉजिस्ट पावर लिस्ट’ 2024 में शामिल डॉ. मुस्तफा ने पैथोलॉजी के क्षेत्र में नवाचार, नेतृत्व और उपलब्धि का प्रदर्शन किया है. लेकिन इस प्रतिष्ठित पद को हासिल करने के लिए डॉ. मुस्तफा का सफर इतना आसान नहीं था.