आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
भारत की चार होनहार बेटियों ने एक्स-रोपियन गर्ल्स मैथमेटिकल ओलंपियाड (EGMO) 2025 में शानदार प्रदर्शन करते हुए चार पदक जीतकर वैश्विक गणित मंच पर देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. कोसोवो की राजधानी प्रिष्टिना में 11 से 17 अप्रैल तक आयोजित इस प्रतियोगिता में 60 से अधिक देशों की छात्राओं ने भाग लिया.
भारत की टीम ने कुल 12वां स्थान प्राप्त किया, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर सभी प्रतिभागियों ने पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया.
भारत की विजेता बेटियाँ और उनकी उपलब्धियाँ
श्रेया मुंधड़ा (मुंबई, उम्र 15) – रजत पदक
संजना फिलो चाको (हेराल, उम्र 16) – रजत पदक
सई पाटिल (पुणे, उम्र 18) – कांस्य पदक
श्रेया गुप्ता रे (कोलकाता, उम्र 18) – कांस्य पदक
EGMO क्या है?
EGMO (European Girls' Mathematical Olympiad) एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय गणित प्रतियोगिता है, जिसे 2012 में यूनाइटेड किंगडम में शुरू किया गया था. यह प्रतियोगिता विशेष रूप से हाई स्कूल की छात्राओं के लिए आयोजित की जाती है, जो गणित में गहरी रुचि रखती हैं और कक्षा की सीमाओं से आगे जाकर इस विषय को समझना चाहती हैं.
कठोर चयन प्रक्रिया और प्रशिक्षण
EGMO टीम के चयन की प्रक्रिया बेहद प्रतिस्पर्धात्मक होती है:
शुरुआत क्षेत्रीय गणित ओलंपियाड (RMO) से होती है
फिर भारतीय राष्ट्रीय गणितीय ओलंपियाड (INMO) के माध्यम से शॉर्टलिस्टिंग होती है
अंततः चार सदस्यीय टीम को गहन प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से तैयार किया जाता है
प्रतिभागियों की सोच और सपने
श्रेया गुप्ता रे, जो अब चेन्नई गणितीय संस्थान से गणित और कंप्यूटर साइंस में स्नातक की पढ़ाई शुरू करेंगी, कहती हैं,“गणित सिर्फ सूत्र नहीं, सोचने का तरीका है.”सई पाटिल, जिन्हें सवालों को हल करने का रचनात्मक तरीका पसंद है, आगे भी गणित में अध्ययन की योजना बना रही हैं.
संजना चाको, जो महज एक अंक से स्वर्ण पदक से चूक गईं, ने कहा,“हम सभी ने अपनी लय खुद खोजी – हर किसी का तरीका अलग, लेकिन लक्ष्य एक.”
टीम की विदाई और स्वागत में दिखा देश का उत्साह
टीम को भारत से रवाना करते समय टीम इंडिया के ब्लेज़र पहनाकर सम्मानपूर्वक विदाई दी गई.वापसी पर परिवार, शिक्षक और छात्र समुदाय ने उनका जोशीले स्वागत किया. लाइव स्कोरबोर्ड पर लगातार नजरें टिकाए बैठे लोग हर पदक के साथ गर्व और खुशी से झूम उठे.