सतानंद भट्टाचार्य/हैलाकांडी
भारत आज अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। देश का मुख्य गणतंत्र दिवस समारोह नई दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है. केंद्रीय समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई आमंत्रित अतिथि और देश-विदेश के गणमान्य व्यक्ति मौजूद हैं.
लेकिन नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में अहमद अली नामक एक अनपढ़ रिक्शा चालक की उपस्थिति ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है. अनपढ़ होने के बावजूद समाज के प्रति उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित किया गया है. अहमद अली ने पूरी तरह से अपने प्रयासों से एक शैक्षणिक संस्थान का निर्माण करके उदारता दिखाई है.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में दक्षिणी असम के श्रीभूमि जिले के एक गांव के निवासी अहमद अली का जिक्र किया था.
अहमद अली ने रिक्शा चलाकर जो पैसे कमाए, उनसे अपने परिवार का भरण-पोषण किया और दक्षिणी असम में 9 स्कूल स्थापित किए. गरीबी के कारण अहमद अली को निरक्षर रहना पड़ा. लेकिन अली को विश्वास था कि वह अपने समाज को निरक्षरता के पाप से बचा सकता है.र इसी उम्मीद के साथ वह आगे बढ़ा..
अहमद अली को दिल्ली में आयोजित होने वाले 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया. आकाशवाणी के अतिरिक्त महानिदेशक मुकेश कुमार ने उन्हें पत्र लिखकर समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दिया. अहमद अली ने कहा कि उन्हें इस तरह के महत्वपूर्ण समारोह का हिस्सा बनने पर गर्व है.
आवाज़ द वॉयस से बात करते हुए अली ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात कार्यक्रम में उनका नाम लिए जाने से उनका उत्साह और काम करने की शक्ति बढ़ गई. उन्होंने कहा कि महिलाओं की शिक्षा में सुधार के लिए और काम किए जाने की ज़रूरत है.
दक्षिणी असम के करीमगंज जिले के पथरकंडी सर्कल के खिलरबंद-मधुरबंद के 88 वर्षीय अली ने अपने मामूली रिक्शा से कमाए पैसे और अपनी 32 बीघा पुश्तैनी ज़मीन को स्कूल खोलने के लिए दान कर दिया है. उनके द्वारा स्थापित नौ स्कूलों में वर्तमान में 500 से ज़्यादा लड़कियाँ और लगभग 100 लड़के पढ़ रहे हैं.
अली ने 1978 में अपनी जन्मभूमि में एक ज़मीन का टुकड़ा बेचकर और ग्रामीणों से थोड़ी सी रकम लेकर एक प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की. उसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. खिलरबंद-मधुरबंद और आस-पास के इलाकों में उन्होंने जो नौ विद्यालय स्थापित किए .
उनमें तीन निम्न प्राथमिक विद्यालय, पाँच मध्य अंग्रेजी विद्यालय और एक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं. उनमें से पाँच को प्रांतीयकृत कर दिया गया है और शिक्षक शेष विद्यालयों में पढ़ाने के लिए स्वेच्छा से काम कर रहे हैं.
88 साल की उम्र में भी अहमद अली अपने गांव के पास एक जूनियर कॉलेज खोलने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उनके द्वारा स्थापित स्कूल के छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें. अहमद अली ने आवाज़ द वॉयस से कहा, "भगवान के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से मैं नई पीढ़ी के जीवन को बदलने के मिशन पर हूं. मुझे खुशी है कि मैं अपने बच्चों के साथ-साथ अपने गांव के बच्चों को भी शिक्षित कर पा रहा हूं. मुझे इस बात से बहुत संतुष्टि मिलती है कि छात्र अब बस गए हैं और काम कर रहे हैं."
अली की दो महिलाओं से शादी हुई है . उनके 11 बच्चे हैं. अली कभी नहीं चाहते थे कि उनके द्वारा स्थापित स्कूल का नाम उनके नाम पर रखा जाए. हालांकि, गांव वालों के दबाव के कारण हाई स्कूल का नाम बदलकर अहमद अली हायर सेकेंडरी स्कूल कर दिया गया.
अहमद अली को कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं. उन्हें यह पसंद है कि हर कोई उन्हें आज भी 'रिक्शा चालक' कहता है. उनका मानना है कि हर चीज की अपनी गरिमा है. मार्च 2019 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रविवार के रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में अहमद अली का जिक्र किया गया था.
अली ने कहा, "जब मैंने रेडियो पर प्रधानमंत्री की आवाज़ में अपना नाम सुना तो मैं अवाक रह गया." प्रधानमंत्री मोदी ने अली का नाम लिया और उनकी पहल की प्रशंसा की. कहा कि रिक्शा चालक के परोपकार को सभी को पहचानना चाहिए. अली की उदारता को सबसे पहले कुछ साल पहले पथरकंडी के पूर्व विधायक कृष्णेंदु पाल (अब मंत्री) ने उजागर किया था.
अली को "दुर्लभ व्यक्तित्व" बताते हुए पाल ने अहमद अली हाई स्कूल के विकास के लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तहत अपने बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम कोष से 11 लाख रुपये का योगदान दिया.