असम के गुवाहाटी शहर के जगीरोड क्षेत्र में रहने वाले शम्सुद्दीन अहमद, जो एक मेहनती सब्जी व्यापारी हैं, की कहानी केवल उनके व्यापार की नहीं, बल्कि उनके परिवार की संघर्ष और सफलता की भी है. शम्सुद्दीन ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उनकी बेटी अमीरुन निशा ने अपने संघर्षों से यह साबित कर दिया कि मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति किसी भी कठिनाई को पार कर सकती है.
शम्सुद्दीन अहमद का जीवन व्यापार और परिवार के बीच सामंजस्य बैठाने में बिता. वह हर सप्ताह बेलतला बाजार में सब्जियां बेचने के लिए जगीरोड से निकलते थे. यह बाजार गुरुवार और रविवार को लगता था, और शम्सुद्दीन को अपने व्यापार की सफलता सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही कठिन मेहनत करनी पड़ती थी.
बाजार में अच्छी जगह पाने के लिए उन्हें दिन की शुरुआत में ही अपनी यात्रा शुरू करनी पड़ती थी, और कभी-कभी तो रात दो बजे तक घर लौटने का समय होता था. इस कठिन जीवनशैली के बावजूद, शम्सुद्दीन का परिवार हमेशा एकजुट रहा और किसी भी कठिनाई के सामने कभी हार नहीं मानी.
अमीरुन निशा का संघर्ष और सफलता की ओर बढ़ता कदम
शम्सुद्दीन की बेटी अमीरुन निशा का जीवन भी कुछ इसी तरह का संघर्ष रहा। वह भी एक निम्न आय वर्ग के परिवार में पली-बढ़ी और जगीरोड के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की. अपने परिवार की परिस्थितियों को देखते हुए, अमीरुन ने हमेशा कुछ बड़ा करने का सपना देखा. उसने अपनी मेहनत और संघर्ष से साबित कर दिया कि गरीबी सफलता में रुकावट नहीं बन सकती.
अमीरुन निशा ने जगीरोड कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद अपने सपनों को साकार करने के लिए एक और चुनौती का सामना किया. एक दिन, उसने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित एक विज्ञापन में नौकरी के लिए आवेदन किया.
शम्सुद्दीन के अनुसार, अमीरुन ने साथ में अपने पिता को लेकर गुवाहाटी परीक्षा देने गई. यह एक महत्वपूर्ण कदम था, और इस परीक्षा के बाद उसकी मेहनत रंग लाई.कुछ ही दिनों बाद, यह खुशी की खबर आई कि अमीरुन निशा ने लिखित परीक्षा पास कर ली है.
इसके बाद उसने मौखिक साक्षात्कार भी दिया, और फिर अंततः उसे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण में कार्यरत होने का मौका मिला. शम्सुद्दीन के लिए यह पल गर्व का था, क्योंकि यह उनके परिवार के लिए एक अप्रत्याशित उपलब्धि थी.
अहमदाबाद में नई शुरुआत
अमीरुन निशा को भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक गैर-तकनीकी पद पर सेवा देने के लिए चुना. यह न केवल अमीरुन के लिए, बल्कि उसके परिवार के लिए भी एक नई शुरुआत थी.
इस सफलता के साथ ही, उसे हवाई अड्डे पर रहने के लिए आवास भी प्रदान किया गया. शम्सुद्दीन अहमद और उनका परिवार अब अहमदाबाद में बसने के लिए तैयार हो गए हैं, और यह उनके लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है.
प्रेरणा की कहानी
अमीरुन निशा की सफलता न केवल उसकी कड़ी मेहनत का परिणाम है, बल्कि यह यह भी सिद्ध करती है कि किसी भी सामाजिक और आर्थिक परिस्थिति से ऊपर उठकर किसी भी व्यक्ति का सपना सच हो सकता है, अगर उसमें आत्मविश्वास और संघर्ष की भावना हो.
उनकी कहानी न केवल युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह भी साबित करती है कि गरीबी और अनिश्चितता सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकतीं.शम्सुद्दीन अहमद और उनकी बेटी अमीरुन निशा की यात्रा एक जीवंत उदाहरण है कि परिवार का प्यार, समर्पण और दृढ़ संकल्प किसी भी कठिनाई को पार करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं.
इस सफलता की कहानी में न केवल संघर्ष है, बल्कि उन कड़ी मेहनत करने वालों के लिए भी उम्मीद और प्रेरणा है जो अपने जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं.