सेराज अनवर/पटना
“जिंदगी का यही फलसफा है.एक तरफ भाई इंसाफ की लड़ाई लड़ने के खातिर जेल में तो दूसरी तरफ बहन इंसाफ देने खातिर अब जज की कुर्सी पर बैठेंगी.” यदि ज़िंदगी का यही फ़लसफ़ा है तो बिहार के ज़िला जहानबाद स्थित काको गांव में साकार होने जा रहा है.
भाई शरज़ील इमाम भड़काव भाषण और दिल्ली दंगा के आरोप में चार सालों से जेल में बंद है और बहन फरहा निशात जज की कुर्सी पर बैठने जा रही है. 32 वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर फरहा ने परिवार को फ़ख़्र करने का मौक़ा दिया है.शरज़ील के छोटे भाई मुज्जम्मिल इमाम ने सोशल मीडिया पर एक मार्मिक पोस्ट कर इसको चर्चा में ला दिया है-,''जिंदगी का यही फलसफा है...."
पहले जानिये शरज़ील इमाम के बारे में?
शरज़ील इमाम बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के नेता अकबर इमाम के बड़े बेटे हैं.अकबर इमाम अब इस दुनिया में नहीं हैं.जहानबाद विधानसभा क्षेत्र से पार्टी ने उन्हें चुनाव भी लड़ाया था मगर जीत नसीब नहीं हुई.
इनका गांव जहानबाद ज़िले के काको है.शरज़ील विदेश में पढ़े हैं.सीएए/एनआरसी के दौरान शरज़ील ने विवादास्पद बयान से चर्चे में आ गये.उन पर देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज हुआ.बाद में दिल्ली दंगा के भी आरोपी बनाये गये.
28 जनवरी,2020 में उनकी गिरफ़्तारी हुई और फ़िलहाल दिल्ली जेल में बंद हैं.फरहा उसके चाचा के बेटी यानी चचेरी बहन है.फरहा की इस उपलब्धि ने पूरे जहानाबाद को गौरवान्वित किया है.लम्बे अर्से से राहत तलाश रहे परिवार में पहली बार ख़ुशी लेकर आयी है.
वह खासतौर पर महिलाओं और युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं.उनकी सफलता से उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है.शरजील इमाम के जेल जाने के बाद उनके परिवार के लिए यह पहला खुशी का मौका है.फरहा की कामयाबी ने उनके परिवार के चेहरों पर मुस्कान लौटा दी है.फरहा निशात ने कड़ी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है.
फ़रहा की प्रारंभिक शिक्षा काको में हुई
फरहा की प्रारंभिक शिक्षा काको में हुई. उनकी मां अकबरी खातून गृहिणी हैं और पिता निशात अख्तर सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हैं. फरहा ने क्लैट परीक्षा पास करने के बाद हिदायतुल्लाह नेशनल यूनिवर्सिटी,
रायपुर से 2018 में कानून की पढ़ाई पूरी की.इसके बाद, उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में लॉ क्लर्क सह रिसर्च असिस्टेंट के रूप में काम किया और न्यायिक प्रक्रिया को करीब से समझा.इसके बाद उन्होंने बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की.
फरहा अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, बहन बहनोई और छोटे भाई बहनों को देती हैं. उन्होंने सेल्फ स्टडी और परिवार के मार्गदर्शन के साथ प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास की, जबकि इंटरव्यू के लिए आंशिक रूप से संस्थानों की मदद ली.
फरहा को किताबें पढ़ने, बच्चों को पढ़ाने और सीरियल देखने का शौक है.उन्होंने कहा कि वह त्वरित और न्यायपूर्ण फैसलों के जरिए समाज की सेवा करने का संकल्प रखती है.फरहा बताती हैं कि लॉ की डिग्री लेने के बाद मैंने इंर्टनशिप पूरी की.फिर मुझे ख्याल आया कि कुछ अलग कर आगे बढ़ा जाए.मैंने तैयारी शुरू की. इसके लिए प्रतिदिन आठ से दस घंटे तक पढ़ाई करती थी.
जस्टिस आर भानुमति से मिली प्रेरणा
फरहा बताती हैं लॉकडाउन के दौरान जस्टिस आर भानुमति के यहां इंटर्नशिप करने का मौका मिला. इसके बाद 2 साल उनके यहां काम किया.इसी दौरान उन्हें प्रेरणा मिली की न्यायिक सेवा की परीक्षा दे कर जज बनना चाहिए.
इस उपलब्धि पर फरहा का कहना है कि उन्हें काफी प्रसन्नता हो रही है. जब से उन्होंने न्यायिक सेवा की परीक्षा की तैयारी शुरू की थी तभी से उनका सपना था कि यह दिन देखे. आज यह दिन सामने है तो खुशी हो रही है.
फरहा निशात कहती हैं कि युवा पीढ़ी विशेषकर आधी आबादी के लिए अपने दायित्व का निर्वहन करूंगी. फरहा कहती हैं.वे त्वरित और न्याय की पक्षधर हैं, इस दिशा में काम करने की भरपूर कोशिश करेंगी.उन्होंने कहा कि वह त्वरित और न्यायपूर्ण फैसलों के जरिए समाज की सेवा करने का संकल्प रखती हैं.