बासित जरगर/श्रीनगर
भारत के स्वर्ग कश्मीर से अब एक नई ऊर्जा की किरण चमक रही है.कश्मीर के श्रीनगर से एक अनोखी सौर ऊर्जा से चलने वाली कार ‘RAY’ का जन्म हुआ है.यह कार, जो अपनी तरह की पहली है, कश्मीर के गणित के शिक्षक बिलाल अहमद मीर द्वारा बनाई गई है.उनकी कड़ी मेहनत और संकल्प ने यह साबित कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी सपना सच हो सकता है.
सपने को साकार करने की कठिन यात्रा
बिलाल अहमद मीर का सपना था कि कश्मीर में स्वच्छ ऊर्जा से चलने वाली एक कार बनाई जाए, जो न केवल पर्यावरण की रक्षा करे, बल्कि लोगों को स्वच्छ और किफायती परिवहन का विकल्प भी दे सके.2022 में इस परियोजना पर काम शुरू करने के बाद उन्होंने अपनी बचत से 20-22 लाख रुपये खर्च किए.
वह जानते थे कि इस दिशा में आने वाली वित्तीय चुनौतियां बड़ी होंगी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने किसी से मदद नहीं ली.महिंद्रा जैसी बड़ी कंपनियों ने भी इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखाई, लेकिन तकनीकी कारणों से कोई भी सहयोग नहीं कर पाया.बावजूद इसके, बिलाल ने हार मानने के बजाय अपने सपने को पूरा करने के लिए जी-जान से मेहनत की.
RAY – सौर ऊर्जा से चलने वाली कार का इनोवेशन
‘RAY’ एक 1kW की सौर ऊर्जा से चलने वाली कार है, जो उच्च तकनीक से लैस है.इस कार में हाई-परफॉर्मेंस सोलर पैनल, एक इंटेलिजेंट बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS) और पार्किंग के लिए स्मार्ट सेंसर जैसे आधुनिक फीचर्स हैं.RAY की सबसे खास बात यह है कि यह बादल और बर्फीले मौसम में भी खुद को चार्ज कर सकती है.कार में पांच लोगों के बैठने की जगह है, और इसका सोलर-बैटरी संयोजन बिजली का मुख्य स्रोत है.
विशेषताएँ और डिजाइन
RAY के दरवाजों में गल-विंग डिजाइन है, जो न केवल खूबसूरत है, बल्कि इसे अतिरिक्त बिजली उत्पन्न करने के लिए सोलर पैनल से भी लैस किया गया है.इसका स्लीक डिजाइन हवा के प्रतिरोध को कम करता है, जिससे यह ज्यादा प्रभावी और कुशल बनती है.
इसके अलावा, कार की पिछली लाइटें संगीत के अनुरूप बदलती हैं, जो इसे एक स्टाइलिश और आधुनिक लुक देती हैं.इन सभी इनोवेटिव फीचर्स के चलते RAY कश्मीर में तकनीकी और पर्यावरणीय दृष्टि से एक नई पहचान बनाने जा रही है.
13 साल की मेहनत, अब सफलता के द्वार पर
बिलाल अहमद मीर ने पिछले 13 वर्षों से इस सौर ऊर्जा से चलने वाली कार के प्रोजेक्ट पर काम किया है.इसके लिए उन्होंने 1988 मॉडल की निसान माइक्रा कार को मॉडिफाई किया.बिलाल का मानना है कि सही दिशा में किए गए प्रयासों से कुछ भी असंभव नहीं है.
उन्होंने 1950 के दशक से लेकर अब तक विभिन्न लग्ज़री कार डिज़ाइनों का अध्ययन किया, ताकि इस कार के डिज़ाइन में नवीनतम तकनीकी तत्वों का समावेश किया जा सके.उनका शोध छह देशों में प्रकाशित हुआ है, और उन्हें 'कश्मीर का एलोन मस्क' कहा जाने लगा है.
व्यापारिक सहयोग की उम्मीद
बिलाल का कहना है कि अगर उन्हें उचित वित्तीय सहायता मिलती है, तो वह कश्मीर में ऑटोमोबाइल उद्योग में क्रांति ला सकते हैं.हालांकि, फिलहाल वित्तीय समस्या के कारण वह विकलांग व्यक्तियों के लिए एक विशेष कार डिजाइन करने की अपनी योजना को टाल चुके हैं.
उनका सपना है कि आने वाले समय में कश्मीर में स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल कारें आम लोगों के लिए उपलब्ध हों, ताकि कश्मीर का परिवहन क्षेत्र भी हरित और पर्यावरण के प्रति जागरूक बने.
आगे की राह
10 फरवरी को ‘RAY’ की लॉन्चिंग होने जा रही है, और यह कार इस साल जून तक सड़कों पर दिख सकती है.इस कार के लॉन्च के साथ, कश्मीर के लोग अब न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ा सकेंगे, बल्कि यह कार भारत के हरित भविष्य की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है.
कश्मीर की उम्मीद और भारत के हरित भविष्य का हिस्सा
बिलाल अहमद मीर का कहना है कि 'RAY' कश्मीर के लिए सिर्फ एक कार नहीं, बल्कि एक प्रतीक है.यह न केवल उनकी मेहनत और लगन का परिणाम है, बल्कि भारत के हरित भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम भी है.महिंद्रा जैसे उद्योगपतियों और भारत के कई अन्य व्यापारिक नेताओं ने उनकी मेहनत और इनोवेशन की सराहना की है.
इसी तरह से, कश्मीर की पहली सौर ऊर्जा से चलने वाली कार, ‘RAY’ न केवल कश्मीर में बल्कि भारत के लिए भी एक नई दिशा का प्रतीक बन चुकी है.यह न सिर्फ तकनीकी दृष्टिकोण से एक सफलता है, बल्कि यह हमें यह भी बताता है कि अगर समर्पण और कठिन मेहनत हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है.