Artist Asgar Ali: Presenting Ganga-Jamuni Tehzeeb through his paintings
ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
कला वह नहीं है जो आप देखते हैं, बल्कि वह है जो आप दूसरों को दिखाते हैं. ये कहना है प्रतिष्ठित कलाकार असगर अली का. जिनके नाम कई विश्व रिकॉर्ड हैं. साथ ही वो अपनी कला के माध्यम से समाज में गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश भी प्रसारित कर रहे हैं.
श्रीकृष्ण पर आधारित 50 से अधिक पेंटिंग बना चुके हैं असगर अली
प्रसिद्ध कलाकार असगर अली ने आवाज द वॉयस को बताया कि वे श्रीकृष्ण के बाल रूप की मासूमियत से भरे जीवन से काफी प्रभावित हैं. उनके मोर पंख और बांसुरी के रंग किसी भी चित्रकार को आकर्षित कर सकते हैं.
असगर अली कलाकारों के लिए प्रेरणा और सम्पूर्णता का प्रतीक हैं. जिन्होनें श्री कृष्ण के बाल रूप, युवा अवस्था और महाभारत के युद्ध में दिए गए उनके उदेश्यों और साथ ही उनकी लीलाओं पर केंद्रित 50 से अधिक पेंटिंग्स बनाई हैं.
उनका कहना है कि एक कलाकार की कला तब उभरती है, जव वह बारीकियों को खूबसूरती से दर्शाता है. और मेने भी अपनी पेंटिंग्स में यही चीज़ बखूबी दिखाने की कोशिश की है.
असगर अली ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में भी उन्होनें अपनी कृष्णा कांसेप्ट पर आधारित पेंटिंग्स की प्रदर्शनी भी लगाई थी जहां लोगों ने उनके कार्य को खूब सराहा था.
असगर अली की सबसे बड़ी पेंटिंग जिसने बनाया विश्व रिकॉर्ड
असगर अली ने बताया कि अबतक की सबसे बड़ी पेंटिंग अयोध्या में राम मंदिर स्थापना के अवसर पर उनकी टीम के साथ मिलकर उन्होनें 50x30 फीट के आकार में एक भव्य पेटिंग बनाई, जो वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हुई और पीएमओ भी भेजी गई. अली का कहना है कि एक कलाकार का कोई दायरा नहीं होता. वह अपनी कला के जरिए आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करना चाहते है. और मैं भी समाज में अपनी कला के माध्यम से सद्भाव और सौहार्द का प्रचार करना चाहता हूँ.
'कालभूमि संस्थान' के संस्थापक असगर अली
दिल्ली के द्वारका सेक्टर-12 में स्थित 'कलाभूमि' संस्थान के संस्थापक असगर अली का सफर संघर्ष और दृढ़ संकल्प का उदाहरण है. उन्होंने अपना अपनी फाईन आर्ट्स की डिग्री जामिया मिल्लिया इस्लामिया से हासिल की. शाहबाद मोहम्मदपुर गांव से निकले अली ने बताया कि कॉलेज के दिनों में उन्हें विभिन्न धार्मिक ग्रंथों पर काम करने के प्रोजेक्ट मिले, जिनसे उनकी कला निखरने लगी. उनके गुरु राम बाबू ने उन्हें श्रीकृष्ण के जीवन की गहराइयों के बारे में अवगत कराया.
साथ ही असगर ने गणेश, गौतम बुद्ध और प्रकृति पर आधारित पेंटिंग भी बनाई है. श्रीकृष्ण को समझने के लिए उन्होंने मथुरा, वृंदावन और यमुना घाटों पर भी समय बिताया. उनके अनुसार, श्रीकृष्ण से जुड़ी उनकी सबसे प्रिय पेंटिंग वह है जिसमें एक गोपी के पैर में कांटा लगा है और कृष्ण पेड़ के पीछे से उसे देखते हुए मुस्कुरा रहे हैं.
सबके अंदर छुपा है कलाकार
प्रसिद्ध कलाकार असगर अली का कहना है कि सभी के अंदर एक कलाकार है, हाल ही में उन्होनें तिहाड़ जेल में कैदियों की एक वर्कशॉप आयोजित की जहां उन्होनें पाया कि वे सभी कला में रुचि रखते हैं और उनमें से कई जेल से बाहर आकर कला के क्षेत्र में ही अपनी जिंदगी आगे बढ़ाना चाहते हैं.
निषेध के बावजूद कला को बनाया कला को करियर
असगर ने स्वीकार किया कि इस्लाम में चित्रकारी को मान्यता नहीं है. असगर ने आवाज द वॉयस को बताया कि जब मैंने पेटिंग शुरू की, तो उनके परिवार ने उनसे कह दिया कि यदि वह कला को करियर बनाना चाहते हैं, तो उन्हें खुद अपने लिए व्यवस्था करनी होगी. इसी जिद्द के साथ अली ने संघर्ष किया.
दिल्ली से गुरुग्राम तक का सफर उन्होंने साइकिल से तय किया. शुरुआत में उन्होंने शाहबाद गांव में दरी पर 30 बच्चों को पेटिंग सिखाना शुरू किया. आज, उनके संस्थान 'कलाभूमि' में 7,000 से अधिक छात्र-छात्राएं पेटिंग सीख रहे हैं. जिसमें असम, वेस्ट बंगाल, कोलकाता आदि राज्यों से उनके पास छात्र आर्ट सीखने आ रहे हैं. खास बात ये है कि उनमें सभी वर्ग के लोग शामिल हैं बेशक वे रिटायर बैंकर हों, गृहणी हों या युवा हों.
असगर अली ने बताया कि 'कलाभूमि' के नाम कई वर्ल्ड रिकॉर्ड्स दर्ज हैं जिसमें लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, हाई रेंज बुकऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, एशिया बुकऑफ रिकॉर्ड्स, वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, मार्वल्स बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स शामिल हैं.
जिसमें भारतीय करंसी के 500 रुपए के पुराने नोट की उन्होनें पेंटिंग बनाई थी. साथ ही असगर अली अपनी कलाकृतियां विदेश में भी पर्दर्शित कर चुके हैं. जिसमें दुबई, सिंगापूर, थाईलैंड आदि कंट्रीज़ शामिल हैं. असगर अली ने बताया कि उनकी सबसे महंगी पेंटिंग दुबई में 45 लाख में बिकने के लिए नॉमिनेट हुई थी. लेकिन उनके मन के करीब होने के नाते उन्होनें वो पेंटिंग नहीं बेची. उस पेंटिंग को तैयार करने में अली ने अपनी जिंदगी के 3 साल दिए थे और वो एक स्तिपलिंग आर्टवर्क था.
असगर अली कला के क्षेत्र में एक उस्ताद हैं. असगर अली ने अपना फाइन आर्ट्स जामिया मिल्लिया इस्लामिया से किया और अब कला की इस प्रतिस्पर्धी वाली दुनिया में वे पिछले 18 वर्षों से छात्रों के सपनों को सफलता की कहानियों में बदलने में लगे हुए हैं. उनका नाम ललित कला के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ योगदान के लिए विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हैं.
'कलाभूमि' के छात्र कर रहे कमाल
असगर अली ने बताया कि आज मेरे कई छात्र लद्दाख, असम में अपनी खुद की आर्ट क्लास चला रहे हैं, ये जानकर मुझे खुशी होती है. असगर अली ने बताया कि आर्टिस्टिक यात्रा आसान नहीं है खासकर आज के जमाने में जब मॉडर्न आर्ट भी लोगों को पसंद आने लगा है. नई चीजों को आजमाने और कला के विभिन्न तरीकों को तलाशने के लिए तैयार रहें. प्रयोग करना अपनाएं और गलतियाँ करने या जोखिम लेने से न डरें.
आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स से आर्टिस्ट का नहीं है मुकाबला
आज के दौर में आर्टिफीसियल इंटेलिजेन्स के द्वारा कोई भी आर्ट आसानी से उपलब्ध हो जाता है ऐसे में आर्टिस्ट असगर अली ने एआई टूल्स को अपना मुकाबला मानने से इंकार किया और कहा कि "एआई दिलचस्प है और बजाए कॉम्पिटिशन के इसे एक 'स्मार्ट टूल' की तरह देखना और अपनाना चाहिए, क्रिएटिव लोग एआई आर्ट्स ऐसे इस्तमाल करें कि वो उनकी बैसाखी न बन जाए."