फरहान इसराइली / कोटा
राजस्थान के कोटा की बेटी आयशा खानम ने विपरीत परिस्थितियों को हराते हुए 39वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2024 में 200 मीटर दौड़ में सिल्वर मेडल जीतकर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे राजस्थान का नाम रोशन किया है.
आयशा ने यह ऐतिहासिक सफलता अपने पिता की मृत्यु के बाद के गमगीन माहौल में हासिल की. उनके पिता अब्दुल रहीम का 27 नवंबर को टायर फटने से एक हादसे में निधन हो गया था. यह हादसा कैथून थाना क्षेत्र में स्थित उनकी टायर रिपेयर शॉप पर हुआ, जहां ट्रक का टायर फटने से वे गंभीर रूप से घायल हो गए और अस्पताल में दम तोड़ दिया.
गम को बदला ताकत में
पिता की मृत्यु से टूटे हुए परिवार में आयशा को उसकी मां और कोच विशाल ने हिम्मत दी. पिता के सपनों को साकार करने के लिए आयशा ने खुद को संभाला और 5 दिसंबर को उड़ीसा के भुवनेश्वर में आयोजित चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए रवाना हो गई. 200 मीटर की दौड़ में आयशा ने 24.73 सेकंड का समय लेते हुए रजत पदक अपने नाम किया.
आयशा ने इस जीत को अपने पिता को समर्पित करते हुए कहा, "यह मेडल मेरे अब्बा के नाम है. उन्होंने हमेशा हमें सिखाया कि कभी हार मत मानो. यह उनकी मेहनत और सपनों का नतीजा है."
पिता ने रखी थी नींव
आयशा के पिता अब्दुल रहीम का सपना था कि उनके बच्चे बड़े खिलाड़ी बनें. उन्होंने अपनी टायर रिपेयर शॉप से जुटाए पैसों से आयशा और उसके भाई-बहनों की ट्रेनिंग शुरू करवाई थी. आयशा की बहन शाजिया और भाई जुनैद अली भी राज्य और जिला स्तर पर एथलेटिक्स में शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं.
परिवार और समाज ने दी मदद
पिता की मौत के बाद परिवार को आर्थिक और भावनात्मक सहारा देने के लिए समाज के लोगों ने मदद की. पहल फाउंडेशन के राष्ट्रीय सचिव फारुख राणा ने कहा कि यह जीत आयशा की मेहनत और पिता की प्रेरणा का नतीजा है. कोच विशाल ने आयशा को मानसिक रूप से तैयार किया, जिससे वह नेशनल टूर्नामेंट में भाग लेकर मेडल जीत सकी.
प्रेरणा बनी आयशा की कहानी
आयशा की सफलता ने यह साबित किया कि मजबूत इरादे और कड़ी मेहनत किसी भी बाधा को पार कर सकती है. उनकी कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए भी अपने सपनों को पूरा करने का हौसला रखते हैं.कोटा और राजस्थान के लोग आयशा की इस उपलब्धि पर गर्व कर रहे हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना कर रहे हैं.