अफसाना चौधरी: हापुड़ की हस्तशिल्पकार जिसने 19 देशों में चमकाया भारत का नाम

Story by  दयाराम वशिष्ठ | Published by  [email protected] | Date 24-02-2025
Afsana Choudhary: Hapur's handicraftswoman who made India proud in 19 countries
Afsana Choudhary: Hapur's handicraftswoman who made India proud in 19 countries

 

दयाराम वशिष्ठ, फरीदाबाद (हरियाणा)

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के छोटे से गाँव सलाई की रहने वाली 42 वर्षीय हस्तशिल्पकार अफसाना चौधरी ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है.

उनकी बनाई डिज़ाइनर चूड़ियाँ न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बेहद पसंद की जाती हैं. अफसाना अब तक 19 देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं और आज उनका कारोबार इतना बड़ा हो गया है कि उसे संभालने के लिए उन्होंने अपने भतीजे को भी इसमें शामिल कर लिया है.

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समाज की बंदिशों के कारण 10वीं में छोड़नी पड़ी पढ़ाई

अफसाना चौधरी की सफलता का सफर आसान नहीं था. उनके पिता मंडी कमेटी में इंस्पेक्टर थे और चाहते थे कि उनकी बेटियाँ पढ़-लिखकर आगे बढ़ें। उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को हापुड़ के एक स्कूल में पढ़ने भेजा, लेकिन उस समय समाज में लड़कियों की शिक्षा को लेकर कड़े नियम और बंदिशें थीं.

इसी कारण अफसाना को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। यह उनके लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

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2000 में हुई नई शुरुआत, सीखीं डिज़ाइनर चूड़ियाँ बनाने की बारीकियाँ

वर्ष 2000 में दिल्ली के एक एनजीओ "एक्शन इंडिया ऑर्गेनाइजेशन" ने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए डिज़ाइनर चूड़ियाँ बनाने की ट्रेनिंग दी.

इस तीन महीने के कोर्स में 50 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया, लेकिन अफसाना ने अपनी मेहनत और लगन से इस कला में महारथ हासिल कर ली. उन्होंने दिन-रात अभ्यास किया और खुद को एक कुशल हस्तशिल्पकार के रूप में स्थापित किया.

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दिल्ली हाट मेला बना टर्निंग पॉइंट, पहली बार घर से बाहर निकलीं अफसाना

वर्ष 2001 में दिल्ली हाट में हस्तशिल्प मेला आयोजित हुआ, जहाँ अफसाना को अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिला. यह उनके जीवन का पहला अवसर था जब वह घर से बाहर निकलीं.

शुरुआत में उन्हें यह अनुभव नया और अजीब लगा, लेकिन उनके हाथ से बनी चूड़ियों को जबरदस्त सराहना और शानदार बिक्री मिली. इस अनुभव से उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने अपने कारोबार को लगातार आगे बढ़ाने का फैसला किया.

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अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँची अफसाना चौधरी की कला

अफसाना ने अपनी कला को वैश्विक स्तर तक पहुँचाने के लिए मेहनत जारी रखी.

🔹 2014 में चाइना की हस्तशिल्प प्रदर्शनी में शामिल हुईं: जब अफसाना पहली बार हवाई जहाज में बैठीं, तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। चाइना में फाइव स्टार होटल में रुकने का अनुभव उनके लिए अविस्मरणीय था. वहाँ उनकी कला को खूब सराहा गया.

🔹 2015 में श्रीलंका के कोलंबो शहर में प्रदर्शन: श्रीलंका की प्रदर्शनी में उनकी डिज़ाइनर चूड़ियों की जबरदस्त डिमांड रही.

🔹 2017 में अपने कारोबार का विस्तार किया: चूड़ियों के अलावा डिज़ाइनर नेकलेस, झुमके, चश्मा चेन, ब्रेसलेट, पायल, बेल्ट, फ्लावर स्टिक जैसे कई नए आइटम बनाना शुरू किया, जिससे उनकी आमदनी कई गुना बढ़ गई.

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बिना घर से पैसे लिए खड़ा किया बड़ा कारोबार

अफसाना ने अपने कारोबार को खड़ा करने के लिए कभी घर से पैसे नहीं लिए. जब भी उन्हें कच्चे माल के लिए पैसों की जरूरत होती थी, वह एनजीओ से उधार लेतीं और बाद में चुका देतीं। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने लाखों रुपये का कारोबार खड़ा कर लिया.

अब दो परिवारों का पालन-पोषण कर रही हैं अफसाना

अफसाना चौधरी ने 1997 में निकाह किया और अब उनकी दो बेटियाँ हैं.

🔹 बड़ी बेटी एमबीए करने के बाद गुरुग्राम की एक कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत हैं.
🔹 छोटी बेटी अभी पढ़ाई कर रही है.

व्यवसाय बढ़ने के बाद उन्होंने अपने भतीजे सावेज अली को भी अपने काम में शामिल कर लिया, ताकि कारोबार को और अधिक विस्तार दिया जा सके.

महिलाओं को ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाना चाहती हैं अफसाना चौधरी

अफसाना चौधरी का सपना है कि हर महिला आत्मनिर्भर बने. वे चाहती हैं कि महिलाओं को ट्रेनिंग देकर डिज़ाइनिंग में सफल बनाया जाए ताकि वे भी अपने पैरों पर खड़ी हो सकें और एक उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ सकें.

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अफसाना चौधरी की सफलता से मिलती है प्रेरणा

अफसाना चौधरी का जीवन यह साबित करता है कि अगर कोई महिला मेहनत और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े, तो वह किसी भी चुनौती को पार कर सकती है. एक समय था जब उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन उन्होंने अपनी कला को ही अपनी ताकत बनाया और आज उनकी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो चुकी है.

🔹 संघर्ष से सफलता तक का सफर तय करने वाली अफसाना चौधरी आज लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं.
🔹 उनकी कहानी साबित करती है कि यदि इरादे मजबूत हों, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती.