सोहेल वाराइच
जब भी हम कोई सामूहिक गलती कर रहे होते हैं तो हम अपने स्वभाव पर भारी बोझ महसूस करते हैं और बार-बार सोचते हैं कि हम ऐसे क्यों हैं? प्रकृति का यह भारीपन वर्षों पहले सुने गए एक चुटकुले से हल्का हो जाता है, क्योंकि कभी-कभी आत्म-आलोचना जटिल समस्याओं को समझने में मदद करती है. चुटकुले कभी-कभी सबसे जटिल समस्याओं का सारांश भी देते हैं.
मज़ाक यह है कि नरक में प्रत्येक राष्ट्र के लिए एक गड्ढा आरक्षित है, प्रत्येक राष्ट्र के नारकीय लोग अपने-अपने गड्ढे में सज़ा भुगत रहे हैं. प्रत्ये...
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